गुरुवार, 12 मई 2016

पांचवीं अनुसूची

पांचवीं अनुसूची

[अनुच्छेद 244(1)]

अनुसूची क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासनऔर नियंत्रण के बारे में उपबंध

साधारण

भाग क

1.   निर्वाचन- इस अनुसूची में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, "राज्य" पद के अंतर्गत 1 *** 2[असम3 [4[मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम]] राज्य] नहीं हैं |

2.   अनुसूची क्षेत्रों में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति- इस अनुसूची के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उसके अनुसूचित क्षेत्रों पर है |

3.   अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति को राज्यपाल 5*** द्वारा प्रतिवेदन- ऐसे प्रत्येक राज्य का राज्यपाल5***, जिसमें अनुसूचित क्षेत्र हैं, प्रतिवर्ष या जब भी राष्ट्रपति इस प्रकार अपेक्षा करे, उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा और संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्य को उक्त क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में निदेश देने तक होगी |



भाग ख

अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों का प्रशासन
और नियंत्रण 


4.   जनजातीय सलाहकार परिषद्-

(1)  ऐसे प्रत्येक राज्य में, जिसमें अनुसूचित क्षेत्र हैं और यदि राष्ट्रपति ऐसा निदेश दे तो, किसी ऐसे राज्य में भी जिसमें जनजातियां हैं किन्तु अनुसूचित क्षेत्र नहीं हैं, एक जनजाति सलाहकार परिषद् स्थापित की जाएगी जो बीस से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से यथाशक्य निकटतम तीन चौथाई उस राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधि होंगे :

     परंतु यदि उस राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों की संख्या जनजाति सलाहकार परिषद् में ऐसे प्रतिनिधियों से भरे जाने वाले स्थानों की संख्या कम है तो शेष स्थान उन जनजातियों के अन्य सदस्यों से भरे जाएंगे |

(2)  जनजाति सलाहकार परिषद् का यह कर्तव्य होगा कि वह उस राज्य की अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से सम्बंधित ऐसे विषयों पर सलाह दे जो उसको राज्यपाल6 द्वारा निर्दिष्ट किए जाएं |

(3)  राज्यपाल 5***

(क)  परिषद् के सदस्यों की संख्या को, उनकी नियुक्ति की और परिषद् के अध्यक्ष तथा उसके अधिकारियों और सेवकों की नियुक्ति की रीति को ;

(ख)  उसके अधिवेशनों के संचालन तथा साधारणतया उसकी प्रक्रिया को, और

(ग)  अन्य सभी आनुषांगिक विषयों को,

यथास्थिति, विहित करने के लिए नियम बना सकेगा |

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1.  संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा "प्रथम अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्द्ष्ट राज्य अभिप्रेत है परंतु" शब्दों और अक्षरों का लोप किया गया |
2.  पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 द्वारा (21-1-1972 से) "असम राज्य" के स्थान पर प्रतिस्थापित |
3.  मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 (1986 का 34) की धारा 39 द्वारा "मेघालय और त्रिपुरा" के स्थान पर (20-2-1987 से) प्रतिस्थापित |
4.  संविधान (उनचासवां संशोधन) अधिनियम, 1984 की धारा 3 द्वारा (1-4-1985 से ) "और मेघालय" के स्थान पर प्रतिस्थापित |
5.  संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा "या राजप्रमुख" शब्दों का लोप किया गया |
6.  संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा "यथास्थिति, राज्यपाल या राजप्रमुख" शब्दों के स्थान पर उपरोक्त रूप में रखा गया |
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5.  अनुसूचित क्षेत्रों को लागू विधि-

(1)  इस विधान में किसी बात के होते हुए भी, राज्यपाल1 लोग अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि संसद का या उस राज्य के विधान-मंडल का कोई विशिष्ट अधिनियम उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग को लागू नहीं होगा अथवा उस राज्य के अनुसूचित किशेत्र या उसके किसी भाग को ऐसे अपवादों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे और इस उपपैरा के अधीन दिया गया कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो | 

(2)  राज्यपाल1 किसी राज्य में किसी ऐसे क्षेत्र की शांति और सुशासन के लिए विनियम बना सकेगा जो तत्समय अनुसूचित क्षेत्र हैं | विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे विनियम-

(क)  ऐसे क्षेत्र की अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा या उनमे भूमि के अंतरण का प्रतिषेध या निर्बंधन कर सकेंगे ;

(ख)  ऐसे क्षेत्र की जनजातियों के सदस्यों को भूमि के आवंटन का विनियमन कर सकेंगे ;

(ग)  ऐसे व्यक्तियों द्वारा जो ऐसे क्षेत्र की अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को धन उधार देते हैं, साहूकार के रूप में कारबार करने का विनियमन कर सकेंगे |

(3)  ऐसे किसी विनियम को बनाने में जो इस पैरा के उपपैरा (2) में निर्दिष्ट है, राज्यपाल2*** संसद के या उस राज्य के विधान-मंडल के अधिनियम का या किसी विद्यमान विधि का, जो प्रश्नगत क्षेत्र में तत्समय लागू है, निरसन या संशोधन कर सकेगा |

(4)  इस पैरा के अधीन बनाए गए सभी विनियम राष्ट्रपति के समक्ष तुरंत प्रस्तुत किए जाएंगे और जब तक वह उन पर अनुमति नहीं दे देता है तब तक उनका कोई प्रभाव नहीं होगा |

(5)  इस पैरा के अधीन कोई विनियम तब तक नहीं बनाया जाएगा जब तक विनियम बनाने वाले राज्यपाल2*** ने जनजाति सलाहकार परिषद् वाले राज्य की दशा में ऐसी परिषद् से परामर्श नहीं कर लिया है |


भाग ग  

अनुसूचित क्षेत्र

(6)   अनुसूचित क्षेत्र-

(1)   इस संविधान में, "अनुसूचित क्षेत्र" पद से ऐसे क्षेत्र अभिप्रेरित हैं जिन्हें राष्ट्रपति आदेश3 द्वारा अनुसूचित क्षेत्र घोषित करे |

(2)  राष्ट्रपति किसी भी समय आदेश4 द्वारा-

(क)  निदेश दे सकेगा कि कोई संपूर्ण अनुसूचित क्षेत्र या उसका कोई विनिर्दिष्ट भाग अनुसूचित क्षेत्र या ऐसे क्षेत्र का भाग नहीं रहेगा ;

5[(कक) किसी राज्य के किसी अनुसूचित क्षेत्र के क्षेत्र को उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात बढ़ा सकेगा,]

(ख)  किसी अनुसूचित क्षेत्र में, केवल सीमाओं का परिशोधन करके ही, परिवर्तन कर सकेगा,
     
(ग)   किसी राज्य की सीमाओं के किसी परिवर्तन पर या संघ में किसी नए राज्य के प्रवेश पर या नए राज्य की स्थापना पर ऐसे किसी क्षेत्र को, जो पहले से किसी राज्य में सम्मिलित नहीं हैं, अनुसूचित क्षेत्र या उसका भाग घोषित कर सकेगा,
   
5[(घ) किसी राज्य या राज्यों के संबंध में इस पैरा के अधीन किए गए आदेश या आदेशों को विखंडित कर सकेगा और संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श करके उन क्षेत्रों को, जो अनुसूचित क्षेत्र होंगे, पुनः परिनिश्चित करने के लिए नए आदेश कर सकेगा,]

और ऐसे किसी आदेश में ऐसे आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध हो सकेंगे जो राष्ट्रपति को आवश्यक और उचित प्रतीत हों, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय इस पैरा के उपपैरा (1) के अधीन किए गए आदेश में किसी पश्चातवर्ती आदेश द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा |


भाग घ

अनुसूची का संशोधन

7.   अनुसूची का संशोधन-

(1)  संसद, समय-समय पर विधि द्वारा, इस अनुसूची के उपबंधों में से किसी का, परिवर्धन, परिवर्तन या निरसन के रूप में, संशोधन कर सकेगी और जब अनुसूची का इस प्रकार संशोधन किया जाता है तब इस संविधान में इस अनुसूची के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह इस प्रकार संशोधित ऐसी अनुसूची के प्रति निर्देश है |

(2)  ऐसी कोई विधि, जो इस पैरा के उपपैरा (1) में उल्लिखित है, इस संविधान के अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी |
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1.  संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा "यथास्थिति, राज्यपाल या राजप्रमुख" शब्दों के स्थान पर उपरोक्त रूप में रखा गया |
2.  संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा "या राजप्रमुख" शब्दों का लोप किया गया |
3.  अनुसूचित क्षेत्र (भाग क राज्य) आदेश, 1950 (सं.आ. 9), अनुसूचित क्षेत्र (भाग ख राज्य) आदेश, 1950 (सं. आ. 26), अनुसूचित क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश) आदेश, 1975 (सं. आ.102) और अनुसूचित क्षेत्र (बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश और उड़ीसा राज्य) आदेश, 1977 (सं.आ. 109) देखिए |
4.  मद्रास अनुसूचित क्षेत्र (समाप्ति) आदेश, 1950 (सं.आ. 30) और आंध्र अनुसूचित क्षेत्र (समाप्ति) आदेश, 1955 (सं.आ. 50) देखिए |
5.  संविधान पांचवी अनुसूची (संशोधन) अधिनियम, 1976 (1976 का 101) की धारा 2 द्वारा अन्तःस्थापित |

स्त्रोत
भारत का संविधान

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