मुख्य समिति के सन्दर्भ में बिना
A/61/L.67 and Add.1
61/295 आदिवासियों अर्थात मूल निवासियों के अधिकारों
के बारे में संयुक्त राष्ट्र घोषणा
महासभा,
मानवाधिकार परिषद् के प्रस्ताव 1/2 दिनांक 29 जून, 2006 1. में शामिल सिफारिश जिसके द्वारा परिषद् ने आदिवासियों के अधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र घोषणा को पारित किया था, को ध्यान में रखते हुए,
इसके 20 दिसंबर, 2006 के प्रस्ताव 61/178 को याद करते हुए जिसके द्वारा परिषद् ने इस विषय पर विचार और कार्यवाही को टालने का निर्णय लिया था ताकि इस बारे में और विचारविमर्श का समय मिल सके और यह भी फैसला किया था कि अपना विचारविनिमय महासभा के 61वें अधिवेशन के समापन से पहले पूरा कर लेगी,
वर्तमान प्रस्ताव के संलग्नक में दिए आदिवासियों के अधिकारों संबंधी संयुक्त राष्ट्र घोषणा का अनुमोदन करती है।
इसके 20 दिसंबर, 2006 के प्रस्ताव 61/178 को याद करते हुए जिसके द्वारा परिषद् ने इस विषय पर विचार और कार्यवाही को टालने का निर्णय लिया था ताकि इस बारे में और विचारविमर्श का समय मिल सके और यह भी फैसला किया था कि अपना विचारविनिमय महासभा के 61वें अधिवेशन के समापन से पहले पूरा कर लेगी,
वर्तमान प्रस्ताव के संलग्नक में दिए आदिवासियों के अधिकारों संबंधी संयुक्त राष्ट्र घोषणा का अनुमोदन करती है।
107वां पूर्ण अधिवेशन
13 सितंबर, 2007
______________________________________
1. देखें महासभा के 61वें अधिवेशन के आधिकारिक रिकार्ड सप्लीमेंट संख्या 53
A/6/53 part one, chapter II, Section A
संलग्नक
आदिवासियों, अर्थात मूल निवासियों के अधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र घोषणा
महासभा,
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित, और राज्यों द्वारा चार्टर के अनुसार आने वाले दायित्वों की पूर्ति में पूरी निष्ठा रखकर,
यह पुष्टि करते हुए कि आदिवासियों भी अन्य सभी लोगों के समकक्ष हैं, हालांकि यह भी स्वीकार किया जाता है कि सभी लोगों के अधिकार भिन्न होते हैं, उन्हें अलग ही माना जाय और उसी भाव से उनको उचित सम्मान प्रदान किया जाए,
यह भी पुष्टि करते हुए कि सभी लोग सभ्यताओं एवं संस्कृतियों की विविधता तथा समृद्धता में योगदान करते हैं, ये ही मानवता की सभी धरोहर बनाने में सहयोग करते हैं,
यह भी पुष्टि करते हुए कि देश, नस्ल, धर्म, जाति या संस्कृति के आधार पर लोगों या किन्ही व्यक्तियों के प्रति भेदभाव के सभी सिद्धांत, नीतियां और रीतियाँ नस्लवादी, विज्ञान की दृष्टि से झूठी, कानूनी दृष्टि से अवैध, नैतिक रूप से निंदनीय और सामाजिक दृष्टि से अन्यायपूर्ण है,
पुनः पुष्टि करते हुए कि आदिवासियों, अपने अधिकारों का प्रयोग करने में, किसी भी प्रकार के भेदभाव से मुक्त रहने चाहिए,
यह चिंताजनक है कि आदिवासी लोग उपनिवेशवाद की स्थापना तथा अपनी जमीनों, क्षेत्र एवं संसाधनों से वंचित कर दिए जाने के कारण एक लंबे अर्से से अन्याय झेलते आ रहे हैं, इसी के परिणामस्वरूप वे अपनी जरूरतों और रुचियों के अनुरूप विकास करने के अपने अधिकार से भी वंचित रह जाते हैं,
आदिवासियों के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्वरुप तथा उनकी संस्कृतियों, इतिहास, आध्यात्मिक परम्पराओं और सिद्धांतों से, विशेषकर देशों, क्षेत्रो और संसाधनों पर उनके अधिकारों से आदिवासियों को प्राप्त होने वाले वंशानुगत अधिकारों को मान्यता एवं प्रोत्साहन देने की तुरंत आवश्यकता को स्वीकार करते हुए,
यह भी स्वीकार करते हुए कि देशों के साथ हुई संधियों, समझौतों और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाओं में स्वीकृत आदिवासियों के अधिकारों को सम्मान एवं प्रोत्साहन देने की तुरंत आवश्यकता है।
इस तथ्य का स्वागत करते हुए कि आदिवासियों राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति के लिए तथा कहीं भी किसी भी तरह से भेदभाव और दमन को समाप्त करने के हेतु स्वयं ही एकजुट होते और प्रयास करते हैं,
मान लिया है कि आदिवासियों को और उनके देशों, क्षेत्रों तथा संसाधनों को प्रभावित करने वाली घटनाओं पर इन आदिवासियों का ही नियंत्रण होने से वे लोग अपनी संस्थाओं, संस्कृतियों और परंपराओं को बरकरार रखने और उन्हें सशक्त बनाने तथा उनकी आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप ही अपने विकास को बढ़ावा दे सकेंगे,
स्वीकार करते हुए कि आदिवासियों की जानकारी, संस्कृतियों और परंपरागत रीतियों को मान्यता देने से स्थाई एवं समानता आधारित विकास हो सकेगा और परिवेश का समुचित प्रबंधन भी होगा,
आदिवासियों के देशों और क्षेत्रों को सैन्यीकरण से मुक्त रखने से विश्व के देशों और लोगों के बीच शान्ति, आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति, आपसी समझ और मैत्री संबंधों के विकास में योगदान मिलने पर जोर देते हुए,
आदिवासी परिवारों और समुदायों पर अपने बच्चों का पालनपोषण, प्रशिक्षण, शिक्षा और कल्याण बच्चों के अधिकारों के अनुरूप करने का संयुक्त दायित्व स्वीकार करते हुए,
यह ध्यान में रखते हुए कि राज्यों और आदिवासी लोगों के बीच संधियों, समझौते और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाएं कुछ हालात में, अंतर्राष्ट्रीय सोच, रूचि, दायित्व एवं चरित्र हो सकती हैं,
यह भी ध्यान में रखते हुए कि संधियां, समझौते और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाएं और वे संबंध जिनका ये प्रतिनिधित्व करती हैं, आदिवासियों और राज्यों के बीच सशक्त भागीदारी का आधार हैं,
यह स्वीकार करते हुए कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों2. के बारे में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र और नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय तथा वियना घोषणा और कार्यवाही कार्यकम3. सभी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकारों के मूल महत्व की पुष्टि करते हैं, जिसके अंतर्गत वे स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक स्थिति तय करते हैं और अपने आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास को आगे बढ़ाते हैं,
इस घोषणा के किसी भी अंश को आधार बनाकर किन्ही भी लोगों को आत्मनिर्णय के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता बशर्ते कि उस अधिकार से अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन न होता हो,
इस बात से सहमत हैं कि घोषणा में दिए आदिवासी लोगों के अधिकारों को मान्यता देने से राज्य और आदिवासी लोगों के बीच सद्भावपूर्ण एवं सहयोग के संबंध मजबूत होंगे जो न्याय, लोकतंत्र, मानवाधिकारों के प्रति सम्मान, भेदभावरहित और परस्पर विश्वास पर आधारित होंगे,
यह पुष्टि करते हुए कि आदिवासियों भी अन्य सभी लोगों के समकक्ष हैं, हालांकि यह भी स्वीकार किया जाता है कि सभी लोगों के अधिकार भिन्न होते हैं, उन्हें अलग ही माना जाय और उसी भाव से उनको उचित सम्मान प्रदान किया जाए,
यह भी पुष्टि करते हुए कि सभी लोग सभ्यताओं एवं संस्कृतियों की विविधता तथा समृद्धता में योगदान करते हैं, ये ही मानवता की सभी धरोहर बनाने में सहयोग करते हैं,
यह भी पुष्टि करते हुए कि देश, नस्ल, धर्म, जाति या संस्कृति के आधार पर लोगों या किन्ही व्यक्तियों के प्रति भेदभाव के सभी सिद्धांत, नीतियां और रीतियाँ नस्लवादी, विज्ञान की दृष्टि से झूठी, कानूनी दृष्टि से अवैध, नैतिक रूप से निंदनीय और सामाजिक दृष्टि से अन्यायपूर्ण है,
पुनः पुष्टि करते हुए कि आदिवासियों, अपने अधिकारों का प्रयोग करने में, किसी भी प्रकार के भेदभाव से मुक्त रहने चाहिए,
यह चिंताजनक है कि आदिवासी लोग उपनिवेशवाद की स्थापना तथा अपनी जमीनों, क्षेत्र एवं संसाधनों से वंचित कर दिए जाने के कारण एक लंबे अर्से से अन्याय झेलते आ रहे हैं, इसी के परिणामस्वरूप वे अपनी जरूरतों और रुचियों के अनुरूप विकास करने के अपने अधिकार से भी वंचित रह जाते हैं,
आदिवासियों के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्वरुप तथा उनकी संस्कृतियों, इतिहास, आध्यात्मिक परम्पराओं और सिद्धांतों से, विशेषकर देशों, क्षेत्रो और संसाधनों पर उनके अधिकारों से आदिवासियों को प्राप्त होने वाले वंशानुगत अधिकारों को मान्यता एवं प्रोत्साहन देने की तुरंत आवश्यकता को स्वीकार करते हुए,
यह भी स्वीकार करते हुए कि देशों के साथ हुई संधियों, समझौतों और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाओं में स्वीकृत आदिवासियों के अधिकारों को सम्मान एवं प्रोत्साहन देने की तुरंत आवश्यकता है।
इस तथ्य का स्वागत करते हुए कि आदिवासियों राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति के लिए तथा कहीं भी किसी भी तरह से भेदभाव और दमन को समाप्त करने के हेतु स्वयं ही एकजुट होते और प्रयास करते हैं,
मान लिया है कि आदिवासियों को और उनके देशों, क्षेत्रों तथा संसाधनों को प्रभावित करने वाली घटनाओं पर इन आदिवासियों का ही नियंत्रण होने से वे लोग अपनी संस्थाओं, संस्कृतियों और परंपराओं को बरकरार रखने और उन्हें सशक्त बनाने तथा उनकी आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप ही अपने विकास को बढ़ावा दे सकेंगे,
स्वीकार करते हुए कि आदिवासियों की जानकारी, संस्कृतियों और परंपरागत रीतियों को मान्यता देने से स्थाई एवं समानता आधारित विकास हो सकेगा और परिवेश का समुचित प्रबंधन भी होगा,
आदिवासियों के देशों और क्षेत्रों को सैन्यीकरण से मुक्त रखने से विश्व के देशों और लोगों के बीच शान्ति, आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति, आपसी समझ और मैत्री संबंधों के विकास में योगदान मिलने पर जोर देते हुए,
आदिवासी परिवारों और समुदायों पर अपने बच्चों का पालनपोषण, प्रशिक्षण, शिक्षा और कल्याण बच्चों के अधिकारों के अनुरूप करने का संयुक्त दायित्व स्वीकार करते हुए,
यह ध्यान में रखते हुए कि राज्यों और आदिवासी लोगों के बीच संधियों, समझौते और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाएं कुछ हालात में, अंतर्राष्ट्रीय सोच, रूचि, दायित्व एवं चरित्र हो सकती हैं,
यह भी ध्यान में रखते हुए कि संधियां, समझौते और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाएं और वे संबंध जिनका ये प्रतिनिधित्व करती हैं, आदिवासियों और राज्यों के बीच सशक्त भागीदारी का आधार हैं,
यह स्वीकार करते हुए कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों2. के बारे में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र और नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय तथा वियना घोषणा और कार्यवाही कार्यकम3. सभी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकारों के मूल महत्व की पुष्टि करते हैं, जिसके अंतर्गत वे स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक स्थिति तय करते हैं और अपने आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास को आगे बढ़ाते हैं,
इस घोषणा के किसी भी अंश को आधार बनाकर किन्ही भी लोगों को आत्मनिर्णय के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता बशर्ते कि उस अधिकार से अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन न होता हो,
इस बात से सहमत हैं कि घोषणा में दिए आदिवासी लोगों के अधिकारों को मान्यता देने से राज्य और आदिवासी लोगों के बीच सद्भावपूर्ण एवं सहयोग के संबंध मजबूत होंगे जो न्याय, लोकतंत्र, मानवाधिकारों के प्रति सम्मान, भेदभावरहित और परस्पर विश्वास पर आधारित होंगे,
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2. देखें प्रस्ताव 2300 ए (XXI) अनुलग्नक 1/ए/सीओएनएफ (भाग II), अध्याय III
3. ए/कांफ्रेंस 157/24 (भाग I), अध्याय III
राज्यों को अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के अनुरूप आदिवासियों के प्रति वे अपने सभी दायित्वों का, विशेषकर मानवाधिकारों से संबद्ध दायित्वों का, संबद्ध लोगों के परामर्श एवं सहयोग से पालन करेंगे और उन्हें लागू करेंगे,
इस बात पर जोर देते हुए कि आदिवासियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण में संयुक्त राष्ट्र ने महत्वपूर्ण एवं निरंतर भूमिका निभाई है,
यह विश्वास करते हुए कि यह घोषणा आदिवासियों के अधिकारों को मान्यता, बढ़ावा और संरक्षण देने की दिशा में तथा इस क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की संबद्ध गतिविधियों के विकास में एक और महत्वपूर्ण कदम है,
इस बात को मानते और इसकी पुनः पुष्टि करते हुए कि आदिवासियों को अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के तहत सभी मानवाधिकारों का बिना किसी भेदभाव के पूरा अधिकार है, और आदिवासियों को ऐसे सामूहिक अधिकार भी प्राप्त है जो उनके अस्तित्व, कल्याण एवं समन्वित विकास के लिए अपरिहार्य है,
यह मानते हुए कि विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न देशों में आदिवासियों की स्थिति भिन्न हैं और यह कि राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय विशेषताओं तथा विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों को भी ध्यान रखा जाना चाहिए,
विधिवत घोषणा की जाती है कि आदिवासियों के अधिकारों के बारे में नीचे दी जा रही संयुक्त राष्ट्र घोषणा एक मानक उपलब्धि के रूप में सहयोग (भागीदारी) और परस्पर सम्मान की भावना से लागू की जायेगी :
इस बात पर जोर देते हुए कि आदिवासियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण में संयुक्त राष्ट्र ने महत्वपूर्ण एवं निरंतर भूमिका निभाई है,
यह विश्वास करते हुए कि यह घोषणा आदिवासियों के अधिकारों को मान्यता, बढ़ावा और संरक्षण देने की दिशा में तथा इस क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की संबद्ध गतिविधियों के विकास में एक और महत्वपूर्ण कदम है,
इस बात को मानते और इसकी पुनः पुष्टि करते हुए कि आदिवासियों को अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के तहत सभी मानवाधिकारों का बिना किसी भेदभाव के पूरा अधिकार है, और आदिवासियों को ऐसे सामूहिक अधिकार भी प्राप्त है जो उनके अस्तित्व, कल्याण एवं समन्वित विकास के लिए अपरिहार्य है,
यह मानते हुए कि विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न देशों में आदिवासियों की स्थिति भिन्न हैं और यह कि राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय विशेषताओं तथा विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों को भी ध्यान रखा जाना चाहिए,
विधिवत घोषणा की जाती है कि आदिवासियों के अधिकारों के बारे में नीचे दी जा रही संयुक्त राष्ट्र घोषणा एक मानक उपलब्धि के रूप में सहयोग (भागीदारी) और परस्पर सम्मान की भावना से लागू की जायेगी :
अनुच्छेद - 1
आदिवासियों को, सामूहिक रूप से अथवा व्यक्तिगत तौर पर, उन सभी मानवाधिकारों और मूल स्वतंत्रताओं का पूरी तरह उपभोग करने का अधिकार है जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून से स्वीकार किए गए हैं।
अनुच्छेद - 2
आदिवासियों और व्यक्तियों, अन्य सभी लोगों एवं व्यक्तियों की भांति ही स्वतंत्र और बराबर हैं तथा उन्हें अपने अधिकारों, विशेषकर उनके आदिवासी होने के कारण मिले अधिकारों को इस्तेमाल करने में किसी भी तरह के भेदभाव से मुक्त रहने का अधिकार है।
अनुच्छेद - 3
आदिवासियों को आत्मनिर्भर का अधिकार है। इस अधिकार से ही वे अपनी राजनीतिक स्थिति स्वतंत्र रूप से तय कर सकते हैं और अपने आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास के प्रयास कर सकते हैं।
अनुच्छेद - 4
अपने आत्मनिर्णय के अधिकार का इस्तेमाल करने में आदिवासियों को अपने आंतरिक और स्थानीय मामलों में स्वायत्तता अथवा स्वायत्त सरकार स्थापित करने का तथा उनके स्वायत्त क्रियाकलाप के लिए वित्तीय साधन जुटाने का अधिकार भी होगा।
अनुच्छेद - 5
आदिवासियों को अपनी विशिष्ट राजनीतिक, कानूनी, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थानों को बनाए रखने और उन्हें सशक्त बनाने का अधिकार होगा और साथ ही, यदि वे चाहें तो, अपने राज्य के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन में पूरी तरह भाग लेने का उनका अधिकार भी बरकरार रहेगा।
अनुच्छेद - 6
प्रत्येक आदिवासी व्यक्ति को राष्ट्रीयता का अधिकार प्राप्त होगा।
अनुच्छेद - 7
1. आदिवासियों को व्यक्ति के जीवन, शारीरिक एवं मानसिक निष्ठा, स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार होगा।
2. आदिवासियों को विशिष्ट लोगों की भांति स्वतंत्रता, शान्ति और सुरक्षा के साथ जीने का सामूहिक अधिकार होगा और उनके प्रति किसी भी तरह के नरसंहार या किसी अन्य प्रकार की हिंसक कार्रवाई नही की जा सकेगी जिनमे किसी समूह के बच्चों को जबरन किसी अन्य समूह में शामिल करना शामिल है।
अनुच्छेद - 8
1. आदिवासियों और व्यक्तियों को अधिकार होगा कि उनकी संस्कृति का जबरन विलय अथवा नष्ट न किया जाए।
2. राज्य ऐसा प्रभावी तंत्र उपलब्ध कराएंगे जो निम्नलिखित की रोकथाम और निराकरण करेगा :
2. राज्य ऐसा प्रभावी तंत्र उपलब्ध कराएंगे जो निम्नलिखित की रोकथाम और निराकरण करेगा :
(क) ऐसा कोई कार्य जिसका उद्देश्य अथवा परिणाम उन्हें उनकी विशिष्ट पहचान या उनके सांस्कृतिक मूल्यों या जातीय पहचान से वंचित करना हो ;
(ख) ऐसा कोई कार्य जिसका उद्देश्य अथवा परिणाम उन्हें उनके देश, क्षेत्रों या संसाधनों से वंचित (बेदखल) करना हो ;
(ग) किसी भी प्रकार का जबरन आबादी स्थान्तरण जिसका उद्देश्य अथवा प्रभाव उनके किसी भी अधिकार का अतिक्रमण या उल्लंघन करना हो ;
(घ) किसी भी प्रकार का जबरन विलय या समन्वय ;
(ड) उनके विरुद्ध नस्ल आधारित अथवा जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देने या उकसाने के इरादे से किसी भी तरह का दुष्प्रचार।
आदिवासियों को अधिकार होगा कि संबद्ध समुदाय अथवा देश की परंपराओं और रीतियों के अनुसार किसी भी आदिवासी समुदाय या देश को अपना ले। इस आधिकार के प्रयोग से किसी भी प्रकार का भेदभाव उत्पन्न नहीं होना चाहिए।
अनुच्छेद - 10
आदिवासियों को उनके देश या क्षेत्र से जबरन हटाया नहीं जाएगा। संबद्ध आदिवासियों की स्वतंत्र एवं लिखित पूर्व सहमति के बिना कोई पुनः आवंटन नहीं होगा और उसके बाद भी न्यायसंगत एवं उचित मुआवजा देने का, और हो सके तो उनके वापस लौट सकने के विकल्प का अनुबंध भी होना चाहिए।
अनुच्छेद -11
1. आदिवासियों को अपनी सांस्कृतिक परम्पराएं और रीतिरिवाज अपनाने और उन्हें अधिक सशक्त बनाने का अधिकार है। इसमें उनका यह अधिकार भी शामिल होगा कि वे पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्थलों, कला वस्तुओं, डिजाइनो, समारोहों, आयोजनों, प्रौद्योगिकियों और दृश्य एवं मंचन कलाओं तथा साहित्य सहित अपनी संस्कृति की सभी प्राचीन, वर्तमान और भावी अभिव्यक्तियों की देखभाल, संरक्षण और विकास कर सकें।
2. राज्य आदिवासियों के कानूनों, परंपराओं और रीतिरिवाजों का उल्लंघन करके अथवा उनकी स्वतंत्र, लिखित एवं पूर्व सहमति के बिना उनकी सांस्कृतिक, बौद्धिक, धार्मिक और आध्यात्मिक सम्पदा के संबंध में उनकी किसी भी शिकायत को, उनके ही सहयोग से पुनः प्रतिष्ठित और विकसित करके, दूर करने के उद्देश्य से शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध कराएगा।
अनुच्छेद - 12
1. आदिवासी लोगों को अपनी आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं, रीतिरिवाजों और समारोहों को मनाने, विकसित करने और पढाने-लिखाने का अधिकार होगा, अपने धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों के रखरखाव, संरक्षण एवं पूरी गोपनीयता से वहाँ पहुंचाने, अपनी पूजा की चीजों को प्रयोग एवं नियंत्रित करने तथा अपने नश्वर अवशेषों को अपने यहाँ प्रत्यावर्तिक कराने का अधिकार होगा।
2. राज्य पूजा अर्चना से जुडी वस्तुओं और मानवीय अवशेषों तक पहुँच उपलब्ध कराने और/या उन्हें प्रत्यावर्तित कराने का निष्पक्ष, पारदर्शी एवं प्रभावी तंत्र संबद्ध आदिवासियों के सहयोग से विकसित करेंगे।
अनुच्छेद - 13
अनुच्छेद - 14
अनुच्छेद - 15
अनुच्छेद - 16
अनुच्छेद - 19
राज्य संबद्ध आदिवासियों से उनके ही प्रतिनिधि संस्थानों के जरिए पूरी ईमानदारी से परामर्श और सहयोग करेंगे ताकि उनको प्रभावित करने वाले विधाई अथवा प्रशासनिक उपाय लागू करने से पहले उनकी स्वतंत्र और लिखित पूर्व सहमति ली जा सके।
अनुच्छेद - 20
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे अपने इतिहास, भाषाएँ, मौखिक (अलिखित) सिद्धांत, लेखन प्रणालियाँ और साहित्य को फिर सशक्त बना सकें, प्रयोग कर सकें और अपनी भावी पीढ़ियों को सौँप सकें तथा समुदायों, स्थानों और व्यक्तियों के परंपरागत नाम रखे रहें।
2. राज्य प्रभावी उपाय करके सुनिश्चित करेंगे कि उनका यह अधिकार सुरक्षित रहे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि राजनीतिक, कानूनी और प्रशासनिक गतिविधियों को आदिवासी लोग समझ सकें और उन्हें भी इन गतिविधियों से समझा जाए तथा जहां जरूरी हो वहाँ दुभाषियों की अथवा कोई अन्य उपयुक्त व्यवस्था की जाए।
अनुच्छेद - 14
1. आदिवासियों को अधिकार है कि वे अपनी ही भाषा में तथा पढ़ने-पढ़ाने की अपनी सांस्कृतिक पद्धतियों के अनुरूप उपयुक्त तरीके से शिक्षा उपलब्ध कराने वाली शिक्षा प्रणालियों और संस्थान स्थापित करके उनका नियंत्रण भी अपने पास ही रखें।
2. आदिवासियों, विशेषकर बच्चों, को बिना किसी भेदभाव के राज्य के सभी स्तरों की और सभी प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
3. राज्य, आदिवासियों के सहयोग से, सभी आदिवासियों, खासकर बच्चों के लिए जिनमे अपने समुदायों से बाहर रहने वाले बच्चे भी शामिल हैं, यथासंभव प्रयास करेगा कि वे अपनी संस्कृति के अनुरूप और अपनी भाषा में दी जाने वाली शिक्षा तक पहुँच प्राप्त कर सकें।
अनुच्छेद - 15
1. आदिवासियों को अपनी संस्कृतियों, परंपराओं, इतिहासों और आकांक्षाओं की गरिमा और विविधता बनाए रखने का अधिकार होगा जो उपयुक्त रूप से शिक्षा और सार्वजनिक जानकारी को प्रतिबिंबित करेगा।
2. राज्य संबद्ध आदिवासियों के सहयोग एवं परामर्श से ऐसे प्रभावी उपाय करेंगे कि पूर्वाग्रह का सामना किया जा सके और भेदभाव समाप्त हो सके तथा आदिवासी लोगों और समाज के अन्य वर्गों के बीच संयम, आपसी समझ और सद्भावपूर्ण संबंध विकसित हों।
अनुच्छेद - 16
1. आदिवासियों को अधिकार है कि वे अपनी भाषा में अपने मीडिया (प्रचार माध्यम) स्थापित कर सकें और बिना किसी भेदभाव के हर किस्म के गैर आदिवासी मीडिया में भी पहुँच प्राप्त कर सकें।
2. राज्य ऐसे प्रभावी उपाय करेंगे जिनसे सुनिश्चित हो सके कि सरकारी स्वामित्व वाले मीडिया में आदिवासी सांस्कृतिक विविधता को समुचित रूप से प्रतिबिंबित किया जा सके। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के राज्यों को निजी स्वामित्व वाले मीडिया को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वह आदिवासी सांस्कृतिक विविधता को समुचित रूप से प्रचारित करे।
अनुच्छेद - 17
1. आदिवासियों और व्यष्टियों को लागू अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू श्रम कानूनों के अंतर्गत प्रदत्त सभी अधिकारों का पूरी तरह उपभोग करने का अधिकार होगा।
2. आदिवासियों के परामर्श और सहयोग से राज्य ऐसे विशिष्ट उपाय करेंगे कि आदिवासी बच्चों को आर्थिक शोषण, तथा ऐसा कोई भी काम करने से बचाया जा सके जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता हो या जिससे उनकी शिक्षा में बाधा पड़ती हो या जो उनके शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, नैतिक अथवा सामाजिक विकास में बाधक हो, तथा यह भी ध्यान रखा जाए कि वे किन पहलुओं से प्रभावित हो सकते हैं और उनके सशक्तिकरण के लिए शिक्षा कितनी आवश्यक है।
3. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे श्रम संबंधी किसी भेदभाव के शिकार न बनाए जा सकें, जिसमे रोजगार या वेतन आदि का भेदभाव शामिल है।
अनुच्छेद - 18
आदिवासियों को अधिकार होगा कि उन मामलों में निर्णय प्रक्रिया में उनकी हिस्सेदारी हो जिनसे उनके अधिकारों पर असर पड़ सकता है, इसके लिए उनके अपने तौर तरीके से उनके ही द्वारा चुने गए प्रतिनिधि निर्णय प्रक्रिया में शामिल किए जा सकते हैं और साथ ही वे अपनी स्वयं की आदिवासी निर्णय प्रक्रिया भी स्थापित कर सकते हैं।
अनुच्छेद - 18
आदिवासियों को अधिकार होगा कि उन मामलों में निर्णय प्रक्रिया में उनकी हिस्सेदारी हो जिनसे उनके अधिकारों पर असर पड़ सकता है, इसके लिए उनके अपने तौर तरीके से उनके ही द्वारा चुने गए प्रतिनिधि निर्णय प्रक्रिया में शामिल किए जा सकते हैं और साथ ही वे अपनी स्वयं की आदिवासी निर्णय प्रक्रिया भी स्थापित कर सकते हैं।
अनुच्छेद - 19
राज्य संबद्ध आदिवासियों से उनके ही प्रतिनिधि संस्थानों के जरिए पूरी ईमानदारी से परामर्श और सहयोग करेंगे ताकि उनको प्रभावित करने वाले विधाई अथवा प्रशासनिक उपाय लागू करने से पहले उनकी स्वतंत्र और लिखित पूर्व सहमति ली जा सके।
अनुच्छेद - 20
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रणालियाँ स्थापित एवं विकसित कर सकें ताकि वे अपने जीवन निर्वाह और विकास का अपने साधनों (तौर-तरीकों) से आनंद उठाने में सुरक्षित रहें तथा अपनी सभी परंपराओं और अन्य आर्थिक गतिविधियों में स्वतंत्र रूप से शामिल हो सकें।
2. जो आदिवासियों जीवननिर्वाह और विकास के साधन से वंचित हैं उन्हें न्यायसंगत एवं निष्पक्ष समाधान/मुआवजा पाने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद - 21
1. आदिवासियों को, बिना किसी भेदभाव के, अधिकार होगा कि अपनी आर्थिक एवं सामाजिक हालात सुधार सकें जिसमे शिक्षा का क्षेत्र, रोजगार, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्प्रशिक्षण, आवास, साफसफाई, स्वास्थ्य और सामाजिक शुरक्षा शामिल है।
2. राज्य उनकी आर्थिक सामाजिक हालात में निरंतर सुधार सुनिश्चित करने के वास्ते प्रभावी उपाय करेंगे और जहां जरूरी लगेगा विशेष उपाय करेंगे। आदिवासी वृद्धजनों, महिलाओं, युवाओं, बच्चों और विकलांगों के अधिकारों और खास जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
अनुच्छेद - 22
1. इस घोषणा को कार्यान्वित करते समय आदिवासी वृद्धजनों, महिलाओं, युवाओं, बच्चों और विकलांगों के अधिकारों और खास जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
2. आदिवासियों के सहयोग से राज्य यह सुनिश्चित करने के उपाय करेंगे कि आदिवासी महिलाएं और बच्चे किसी भी प्रकार की हिंसा और भेदभाव से पूरी तरह सुरक्षित एवं आश्वस्त रहें।
अनुच्छेद - 23
आदिवासियों को अधिकर है कि वे विकास के अधिकार को इस्तेमाल करने की प्राथमिकताएं और नीतियां तय कर सकें। विशेषकर, आदिवासियों को, स्वयं को प्रभावित करने वाले, स्वास्थ्य, आवास और अन्य आर्थिक, सामाजिक कार्यक्रम निर्धारित करने का अधिकार होगा, और जहां तक संभव हो, वे ऐसे कार्यक्रमों को अपने ही संस्थाओं के माध्यम से लागू करेंगे।
अनुच्छेद - 24
1. आदिवासियों को अपनी परंपरागत औषधियों तथा स्वास्थ्य पद्धतियाँ बनाए रखने का अधिकार होगा जिनमे उनके महत्वपूर्ण औषधीय पौधों, पशुओं और खनिजों का संरक्षण शामिल है। आदिवासी व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के सभी सामाजिक एवं स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने का भी अधिकार है।
2. आदिवासी व्यक्तियों को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के सर्वोच्च प्राप्य स्तर का सुख लेने का अधिकार है। राज्य इस अधिकार का पूर्ण क्रियान्वयन बनाए रखने की दृष्टि से आवश्यक उपाय करेंगे।
अनुच्छेद - 25
आदिवासियों को परंपरागत रूप से अधिकृत और प्रयोग की जा रही जमीनों, भूखण्डों, जलक्षेत्रों और तटीय सागरों तथा अन्य संसाधनों पर अपना विशिष्ट आध्यात्मिक संबंध बनाए रखने और उसे मजबूत करने का अधिकार है और साथ ही इस बारे में अपनी भावी पीढ़ियों के प्रति दायित्व निभाने का भी अधिकार है।
अनुच्छेद - 26
1. आदिवासियों को उन जमीनों, राज्यक्षेत्रों और संसाधनों पर अधिकार होगा जो परंपरा से उनके स्वामित्व, कब्जे या अन्य प्रकार के इस्तेमाल अथवा नियंत्रण में रही है।
2. आदिवासियों को वे जमीनें, राज्यक्षेत्र और संसाधन स्वामित्व में लेने, इस्तेमाल करने, उन्हें विकसित करने अथवा नियंत्रण में रखने का अधिकार है जिनपर उनका परंपरागत स्वामित्व है या किसी परंपरागत कब्जे या इस्तेमाल से उनके पास हैं या किसी भी अन्य प्रकार से उनके नियंत्रण में हैं।
3. राज्य इन जमीनों, क्षेत्रों और संसाधनों के लिए कानूनी मान्यता एवं संरक्षण प्रदान करेंगेA इस प्रकार की मान्यता देते समय संबद्ध आदिवासी लोगों के रीतिरिवाजों, परंपराओं और जमीन की पट्टेदारी व्यवस्था का पूरा सम्मान किया जाएगा।
अनुच्छेद - 27
राज्य संबद्ध आदिवासी लोगों की सहमति एवं सहयोग से एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, न्यायसंगत, खुली और पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करेंगे जिसमे आदिवासियों के कानूनों, परंपराओं, रीतिरिवाजों और भू-पट्टेदारी व्यवस्थाओं को समुचित मान्यता दी जाएगी तथा आदिवासियों की जमीनों, क्षेत्रों और संसाधनों पर उनके अधिकारों को मान्यता देकर स्वीकार किया जाएगा जिनमे वे जमीने, क्षेत्र और संसाधन भी शामिल हैं जिनपर परंपरा से ही आदिवासियों का अधिकार, कब्ज़ा, इस्तेमाल या नियंत्रण रहा है। आदिवासियों को इस प्रक्रिया में शामिल होने का भी अधिकार है।
अनुच्छेद - 28
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि अपनी शिकायत का समाधान कराने के लिए प्रत्यार्पण सहित विभिन्न उपाय अपनाएं और ऐसा संभव न हो तो जिन जमीनों, क्षेत्रों और संसाधनों पर उनका परंपरागत स्वामित्व या अन्य प्रकार का कब्ज़ा अथवा इस्तेमाल/नियंत्रण हो और जिन्हें उनकी स्वतंत्र, लिखित और पूर्व सहमति के सहमति के बिना जप्त कर लिया गया हो या कब्जे में ले लिया गया हो या नुकसान पहुंचाया गया हो उनका समुचित न्यायसंगत मुआवजा दिया जाए।
2. संबद्ध लोगों के साथ स्वतंत्र रूप से समझौता किए बिना मुआवजा जमीनों, क्षेत्रों और संसाधनों के रूप में ही समानता, आकार एवं गुणवत्ता पर आधारित होगा या धन के रूप में मुआवजा दिया जाएगा या फिर कोई अन्य उपयुक्त समाधान उपलब्ध कराया जाएगा।
अनुच्छेद - 29
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि अपनी जमीनों, एवं संसाधनों के पर्यावरण एवं उत्पादक क्षमता का संरक्षण कर सकें। राज्य इस प्रकार के संरक्षण और बचाव के लिए बिना किसी भेदभाव के आदिवासियों के लिए सहायता कार्यक्रम बनाकर उन्हें लागू करेंगे।
2. राज्य यह सुनिश्चित करने के उपाय करेंगे कि आदिवासियों की जमीनों और क्षेत्रों में, उन लोगों की स्वतंत्र, लिखित एवं पूर्व सहमति के बिना, खतरनाक सामग्रियों का किसी भी प्रकार का भंडारण अथवा निपटान नहीं किया जाएगा।
3. राज्य, आवश्यक होने पर, यह सुनिश्चित करने के भी प्रभावी उपाय करेंगे कि ऐसे सामग्री से प्रभावित आदिवासियों द्वारा स्वास्थ्य की निगरानी, देखभाल और बहाली के कार्यक्रम उपयुक्त रूप से क्रियान्वित किए जाएँ।
अनुच्छेद - 30
1. आदिवासियों के देशों या क्षेत्रों में सैनिक गतिविधयां नहीं होंगी जबतक कि व्यापक जनहित के कारण अथवा स्वतंत्र सहमति के आदिवासी स्वयं इस आशय का अनुरोध न करें।
2. आदिवासियों की जमीनों या क्षेत्रों का सैनिक गतिविधियों के वास्ते इस्तेमाल करने से पहले राज्य संबद्ध आदिवासियों के साथ मिलकर उपयुक्त प्रक्रिया के जरिए व्यापक एवं प्रभावी विचारविमर्श करेंगे।
अनुच्छेद - 31
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर, परंपरागत ज्ञान और पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों, तथा अपने विज्ञान, प्रौद्योगिकियों तथा संस्कृतियों की अभिव्यक्ति को बरकरार, सुरक्षित एवं नियंत्रित रख सकें जिसमे मानवीय एवं वंशानुगत संसाधन, बीज, औषधियां, वनस्पतियों एवं जड़ी-बूटियों के गुण दोषों के प्रयोग, मौखिक परंपराओं, साहित्य, शैलियाँ, खेलकूद और परंपरागत खेलकौशल (शिकार) तथा दृश्य एवं मंचन कलाएं शामिल हैं। उन्हें यह भी अधिकार होगा कि ऐसी सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक ज्ञान और परंपरागत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों पर अपनी बौद्धिक संपदा को बरकरार, नियंत्रण में, सुरक्षित रख सकें और इनका विकास कर सकें।
2. आदिवासियों की सहमति से राज्य इन अधिकारों को मान्यता देने और उनका सुरक्षित प्रयोग सुनिश्चित करने के प्रभावी उपाय करेंगे।
अनुच्छेद - 32
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे अपनी जमीन, क्षेत्रो तथा संसाधनों के विकास की प्राथमिकताएं एवं नीतियां तय कर सकें।
2. राज्य आदिवासियों के देशों, क्षेत्रों या अन्य संसाधनों को प्रभावित करने वाली किसी भी परियोजना को स्वीकृत करने से पहले उनकी स्वतंत्र एवं सूचित सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से उनके ही प्रतिनिधि संस्थाओं के माध्यम से आदिवासी लोगों के साथ परामर्श एवं सहयोग करेंगे।
3. राज्य ऐसी किसी भी गतिविधि के लिए न्यायसंगत और निष्पक्ष क्षतिपूर्ति का प्रभावी तंत्र उपलब्ध कराएंगे, साथ ही, पर्यावरणीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या आध्यात्मिक दृष्टि से हो सकने वाले प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के भी प्रयास करेंगे।
अनुच्छेद - 33
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे अपने रीतिरिवाजों और परंपराओं के अनुरूप अपनी पहचान या सदस्यता निर्धारित कर सकें। इससे आदिवासियों के इन राज्यों की नागरिकता पाने के अधिकार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा जहां ये रहते हैं।
2. आदिवासियों को अपने तौर-तरीकों के हिसाब से अपनी संस्थाओं की संरचना तय करने और उनकी सदस्यता चुनने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद - 34
आदिवासी लोगों को अधिकार है कि वे अपने संस्थागत ढांचों और उनके विशिष्ट तौर-तरीकों, आध्यात्मिक, परंपराओं, क्रियाकलाप, धार्मिक कृत्यों और, यदि हों तो, न्यायिक व्यवस्थाओं या रीतियों को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप प्रेरित, विकसित और सुरक्षित रखने के उपाय कर सकें।
अनुच्छेद - 35
आदिवासियों को अधिकार है कि वे अपने समुदायों के प्रति सभी व्यक्तियों के दायित्व तय कर सकें।
अनुच्छेद - 36
आदिवासियों और खासकर अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से विभाजित हुए आदिवासी लोगों को अपने यहाँ रहने वालों और सीमाओं के पार रहने वालों के साथ आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक उद्देश्यों से संपर्क, संबंध और सहयोग बनाए रखने और आगे बढ़ाने का अधिकार है।
अनुच्छेद - 37
1. आदिवासियों को राज्यों या उनके उत्तराधिकारियों के साथ की गई संधियां, समझौतों और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाओं को मान्यता दिलाने, उनका परिपालन कराने और उन्हें लागू कराने का अधिकार है।
2. घोषणा में शामिल किसी भी अंश को आदिवासियों के इन संधियों, समझौतों और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाओं में नीहित अधिकारों को हल्का करने या उनका महत्व कम करने वाला नहीं माना जाना चाहिए।
अनुच्छेद - 38
आदिवासियों के साथ परामर्श और सहयोग से इस घोषणा की उद्देश्य की पूर्ति के लिए विधायी उपायों सहित राज्य सभी उपुक्त प्रयास करेंगे।
अनुच्छेद - 39
आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे इस घोषणा में उल्लिखित अधिकारों का इस्तेमाल कर सकने के उद्देश्य से राज्यों से आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्राप्त कर सकें और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी ले सकें।
अनुच्छेद - 40
आदिवासियों को अधिकार है कि राज्यों एवं अन्य पक्षों के साथ चल रहे टकरावों और विवादों का समाधान न्यायसंगत और निष्पक्ष तरीकों से करने के वास्ते तुरंत निर्णय ले सकें और साथ ही, अपने व्यक्तिगत एवं सामूहिक अधिकारों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन का प्रभावी उपचार कर सकें। इस प्रकार के निर्णय में संबद्ध आदिवासी लोगों के रीतिरिवाजों, परंपराओं, नियमों एवं कानूनी प्रणालियों तथा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों पर समुचित ध्यान दिया जाएगा।
अनुच्छेद - 41
संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंग और उसकी विशेषित एजेंसियां तथा अन्य अंतरसरकारी संगठन वित्तीय सहयोग और तकनीकी सहायता के द्वारा इस घोषणा के प्रावधानों को पूर्णतया क्रियान्वित कराने में योगदान देंगे। आदिवासी लोगों को प्रभावित करने वाले मामलों में उनका सहयोग सुनिश्चित करने के तौर-तरीके भी तय किए जायेंगे।
अनुच्छेद - 42
संयुक्त राष्ट्र आदिवासियों के मुद्दों के बारे में स्थायी मंच सहित उसकी संस्थाएं और राष्ट्र स्तर की एजेंसियों समेत विशेषित एजेंसियां और राज्य इस घोषणा के प्रावधानों को पूरा सम्मान देते हुए इनके पूर्ण क्रियान्वयन के लिए प्रयास करेंगे तथा इस घोषणा की प्रभाविकता आंकने के उपाय भी अपनाएंगे।
अनुच्छेद - 43
इसमें शामिल अधिकार दुनिया भर के आदिवासियों के अस्तित्व, मान-सम्मान और कल्याण का न्यूनतम स्तर है।
अनुच्छेद - 44
इसमें शामिल सभी अधिकारों और स्वतंत्रताओं की सभी पुरुष और महिला आदिवासियों के लिए पक्की गारंटी होगी।
अनुच्छेद - 45
इस घोषणा के किसी भी अंश या प्रावधान को आदिवासियों के मौजूदा या भावी अधिकारों को कम या समाप्त करने का आधार न माना जाए।
अनुच्छेद - 46
1. इस घोषणा में शामिल किसी अंश या प्रावधान का अर्थ यह कदापि न लगाया जाए कि किसी भी राज्य, लोगों, समूह या व्यक्ति को ऐसा कोई अधिकार मिल जाएगा कि वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के विरुद्ध कोई कार्य कर सके अथवा ऐसे किसी भी कार्य को मान्यता या प्रोत्साहन मिल जायेगा जिससे सार्वभौम एवं स्वतंत्र राज्यों की राज्यक्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक एकता पर पूरी तरह अथवा आंशिक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
2. प्रस्तुत घोषणा में दिए अधिकारों को इस्तेमाल करते वक्त सभी के मानवाधिकारों और मूल अधिकारों का सम्मान किया जाएगा। इस घोषणा में नीहित अधिकारों का इस्तेमाल करते समय केवल क़ानून द्वारा निर्धारित और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के अनुरूप सीमाएं ही लागू होंगी। इस तरह की सीमा लगाने में कोई भेदभाव नहीं बरता जाएगा और इसका एक मात्र उद्देश्य अन्य सभी के अधिकारों और स्वतंत्रता की मान्यता और प्रतिष्ठा सुनिश्चित करना तथा लोकतांत्रिक समाज की न्यायसंगत एवं अनिवार्य मांगों को पूरा करना है।
3. इस घोषणा में शामिल प्रावधानों का अर्थ लगाते समय न्याय, लोकतंत्र, मानवाधिकारों के सम्मान, समानता, भेदभाव रहित व्यवस्था, कुशल प्रशासन एवं पूर्ण निष्ठा के सिद्धांतों को ही आधार माना जाएगा।
2. जो आदिवासियों जीवननिर्वाह और विकास के साधन से वंचित हैं उन्हें न्यायसंगत एवं निष्पक्ष समाधान/मुआवजा पाने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद - 21
1. आदिवासियों को, बिना किसी भेदभाव के, अधिकार होगा कि अपनी आर्थिक एवं सामाजिक हालात सुधार सकें जिसमे शिक्षा का क्षेत्र, रोजगार, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्प्रशिक्षण, आवास, साफसफाई, स्वास्थ्य और सामाजिक शुरक्षा शामिल है।
2. राज्य उनकी आर्थिक सामाजिक हालात में निरंतर सुधार सुनिश्चित करने के वास्ते प्रभावी उपाय करेंगे और जहां जरूरी लगेगा विशेष उपाय करेंगे। आदिवासी वृद्धजनों, महिलाओं, युवाओं, बच्चों और विकलांगों के अधिकारों और खास जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
अनुच्छेद - 22
1. इस घोषणा को कार्यान्वित करते समय आदिवासी वृद्धजनों, महिलाओं, युवाओं, बच्चों और विकलांगों के अधिकारों और खास जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
2. आदिवासियों के सहयोग से राज्य यह सुनिश्चित करने के उपाय करेंगे कि आदिवासी महिलाएं और बच्चे किसी भी प्रकार की हिंसा और भेदभाव से पूरी तरह सुरक्षित एवं आश्वस्त रहें।
अनुच्छेद - 23
आदिवासियों को अधिकर है कि वे विकास के अधिकार को इस्तेमाल करने की प्राथमिकताएं और नीतियां तय कर सकें। विशेषकर, आदिवासियों को, स्वयं को प्रभावित करने वाले, स्वास्थ्य, आवास और अन्य आर्थिक, सामाजिक कार्यक्रम निर्धारित करने का अधिकार होगा, और जहां तक संभव हो, वे ऐसे कार्यक्रमों को अपने ही संस्थाओं के माध्यम से लागू करेंगे।
अनुच्छेद - 24
1. आदिवासियों को अपनी परंपरागत औषधियों तथा स्वास्थ्य पद्धतियाँ बनाए रखने का अधिकार होगा जिनमे उनके महत्वपूर्ण औषधीय पौधों, पशुओं और खनिजों का संरक्षण शामिल है। आदिवासी व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के सभी सामाजिक एवं स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने का भी अधिकार है।
2. आदिवासी व्यक्तियों को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के सर्वोच्च प्राप्य स्तर का सुख लेने का अधिकार है। राज्य इस अधिकार का पूर्ण क्रियान्वयन बनाए रखने की दृष्टि से आवश्यक उपाय करेंगे।
अनुच्छेद - 25
आदिवासियों को परंपरागत रूप से अधिकृत और प्रयोग की जा रही जमीनों, भूखण्डों, जलक्षेत्रों और तटीय सागरों तथा अन्य संसाधनों पर अपना विशिष्ट आध्यात्मिक संबंध बनाए रखने और उसे मजबूत करने का अधिकार है और साथ ही इस बारे में अपनी भावी पीढ़ियों के प्रति दायित्व निभाने का भी अधिकार है।
अनुच्छेद - 26
1. आदिवासियों को उन जमीनों, राज्यक्षेत्रों और संसाधनों पर अधिकार होगा जो परंपरा से उनके स्वामित्व, कब्जे या अन्य प्रकार के इस्तेमाल अथवा नियंत्रण में रही है।
2. आदिवासियों को वे जमीनें, राज्यक्षेत्र और संसाधन स्वामित्व में लेने, इस्तेमाल करने, उन्हें विकसित करने अथवा नियंत्रण में रखने का अधिकार है जिनपर उनका परंपरागत स्वामित्व है या किसी परंपरागत कब्जे या इस्तेमाल से उनके पास हैं या किसी भी अन्य प्रकार से उनके नियंत्रण में हैं।
3. राज्य इन जमीनों, क्षेत्रों और संसाधनों के लिए कानूनी मान्यता एवं संरक्षण प्रदान करेंगेA इस प्रकार की मान्यता देते समय संबद्ध आदिवासी लोगों के रीतिरिवाजों, परंपराओं और जमीन की पट्टेदारी व्यवस्था का पूरा सम्मान किया जाएगा।
अनुच्छेद - 27
राज्य संबद्ध आदिवासी लोगों की सहमति एवं सहयोग से एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, न्यायसंगत, खुली और पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करेंगे जिसमे आदिवासियों के कानूनों, परंपराओं, रीतिरिवाजों और भू-पट्टेदारी व्यवस्थाओं को समुचित मान्यता दी जाएगी तथा आदिवासियों की जमीनों, क्षेत्रों और संसाधनों पर उनके अधिकारों को मान्यता देकर स्वीकार किया जाएगा जिनमे वे जमीने, क्षेत्र और संसाधन भी शामिल हैं जिनपर परंपरा से ही आदिवासियों का अधिकार, कब्ज़ा, इस्तेमाल या नियंत्रण रहा है। आदिवासियों को इस प्रक्रिया में शामिल होने का भी अधिकार है।
अनुच्छेद - 28
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि अपनी शिकायत का समाधान कराने के लिए प्रत्यार्पण सहित विभिन्न उपाय अपनाएं और ऐसा संभव न हो तो जिन जमीनों, क्षेत्रों और संसाधनों पर उनका परंपरागत स्वामित्व या अन्य प्रकार का कब्ज़ा अथवा इस्तेमाल/नियंत्रण हो और जिन्हें उनकी स्वतंत्र, लिखित और पूर्व सहमति के सहमति के बिना जप्त कर लिया गया हो या कब्जे में ले लिया गया हो या नुकसान पहुंचाया गया हो उनका समुचित न्यायसंगत मुआवजा दिया जाए।
2. संबद्ध लोगों के साथ स्वतंत्र रूप से समझौता किए बिना मुआवजा जमीनों, क्षेत्रों और संसाधनों के रूप में ही समानता, आकार एवं गुणवत्ता पर आधारित होगा या धन के रूप में मुआवजा दिया जाएगा या फिर कोई अन्य उपयुक्त समाधान उपलब्ध कराया जाएगा।
अनुच्छेद - 29
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि अपनी जमीनों, एवं संसाधनों के पर्यावरण एवं उत्पादक क्षमता का संरक्षण कर सकें। राज्य इस प्रकार के संरक्षण और बचाव के लिए बिना किसी भेदभाव के आदिवासियों के लिए सहायता कार्यक्रम बनाकर उन्हें लागू करेंगे।
2. राज्य यह सुनिश्चित करने के उपाय करेंगे कि आदिवासियों की जमीनों और क्षेत्रों में, उन लोगों की स्वतंत्र, लिखित एवं पूर्व सहमति के बिना, खतरनाक सामग्रियों का किसी भी प्रकार का भंडारण अथवा निपटान नहीं किया जाएगा।
3. राज्य, आवश्यक होने पर, यह सुनिश्चित करने के भी प्रभावी उपाय करेंगे कि ऐसे सामग्री से प्रभावित आदिवासियों द्वारा स्वास्थ्य की निगरानी, देखभाल और बहाली के कार्यक्रम उपयुक्त रूप से क्रियान्वित किए जाएँ।
अनुच्छेद - 30
1. आदिवासियों के देशों या क्षेत्रों में सैनिक गतिविधयां नहीं होंगी जबतक कि व्यापक जनहित के कारण अथवा स्वतंत्र सहमति के आदिवासी स्वयं इस आशय का अनुरोध न करें।
2. आदिवासियों की जमीनों या क्षेत्रों का सैनिक गतिविधियों के वास्ते इस्तेमाल करने से पहले राज्य संबद्ध आदिवासियों के साथ मिलकर उपयुक्त प्रक्रिया के जरिए व्यापक एवं प्रभावी विचारविमर्श करेंगे।
अनुच्छेद - 31
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर, परंपरागत ज्ञान और पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों, तथा अपने विज्ञान, प्रौद्योगिकियों तथा संस्कृतियों की अभिव्यक्ति को बरकरार, सुरक्षित एवं नियंत्रित रख सकें जिसमे मानवीय एवं वंशानुगत संसाधन, बीज, औषधियां, वनस्पतियों एवं जड़ी-बूटियों के गुण दोषों के प्रयोग, मौखिक परंपराओं, साहित्य, शैलियाँ, खेलकूद और परंपरागत खेलकौशल (शिकार) तथा दृश्य एवं मंचन कलाएं शामिल हैं। उन्हें यह भी अधिकार होगा कि ऐसी सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक ज्ञान और परंपरागत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों पर अपनी बौद्धिक संपदा को बरकरार, नियंत्रण में, सुरक्षित रख सकें और इनका विकास कर सकें।
2. आदिवासियों की सहमति से राज्य इन अधिकारों को मान्यता देने और उनका सुरक्षित प्रयोग सुनिश्चित करने के प्रभावी उपाय करेंगे।
अनुच्छेद - 32
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे अपनी जमीन, क्षेत्रो तथा संसाधनों के विकास की प्राथमिकताएं एवं नीतियां तय कर सकें।
2. राज्य आदिवासियों के देशों, क्षेत्रों या अन्य संसाधनों को प्रभावित करने वाली किसी भी परियोजना को स्वीकृत करने से पहले उनकी स्वतंत्र एवं सूचित सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से उनके ही प्रतिनिधि संस्थाओं के माध्यम से आदिवासी लोगों के साथ परामर्श एवं सहयोग करेंगे।
3. राज्य ऐसी किसी भी गतिविधि के लिए न्यायसंगत और निष्पक्ष क्षतिपूर्ति का प्रभावी तंत्र उपलब्ध कराएंगे, साथ ही, पर्यावरणीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या आध्यात्मिक दृष्टि से हो सकने वाले प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के भी प्रयास करेंगे।
अनुच्छेद - 33
1. आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे अपने रीतिरिवाजों और परंपराओं के अनुरूप अपनी पहचान या सदस्यता निर्धारित कर सकें। इससे आदिवासियों के इन राज्यों की नागरिकता पाने के अधिकार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा जहां ये रहते हैं।
2. आदिवासियों को अपने तौर-तरीकों के हिसाब से अपनी संस्थाओं की संरचना तय करने और उनकी सदस्यता चुनने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद - 34
आदिवासी लोगों को अधिकार है कि वे अपने संस्थागत ढांचों और उनके विशिष्ट तौर-तरीकों, आध्यात्मिक, परंपराओं, क्रियाकलाप, धार्मिक कृत्यों और, यदि हों तो, न्यायिक व्यवस्थाओं या रीतियों को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप प्रेरित, विकसित और सुरक्षित रखने के उपाय कर सकें।
अनुच्छेद - 35
आदिवासियों को अधिकार है कि वे अपने समुदायों के प्रति सभी व्यक्तियों के दायित्व तय कर सकें।
अनुच्छेद - 36
आदिवासियों और खासकर अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से विभाजित हुए आदिवासी लोगों को अपने यहाँ रहने वालों और सीमाओं के पार रहने वालों के साथ आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक उद्देश्यों से संपर्क, संबंध और सहयोग बनाए रखने और आगे बढ़ाने का अधिकार है।
अनुच्छेद - 37
1. आदिवासियों को राज्यों या उनके उत्तराधिकारियों के साथ की गई संधियां, समझौतों और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाओं को मान्यता दिलाने, उनका परिपालन कराने और उन्हें लागू कराने का अधिकार है।
2. घोषणा में शामिल किसी भी अंश को आदिवासियों के इन संधियों, समझौतों और अन्य रचनात्मक व्यवस्थाओं में नीहित अधिकारों को हल्का करने या उनका महत्व कम करने वाला नहीं माना जाना चाहिए।
अनुच्छेद - 38
आदिवासियों के साथ परामर्श और सहयोग से इस घोषणा की उद्देश्य की पूर्ति के लिए विधायी उपायों सहित राज्य सभी उपुक्त प्रयास करेंगे।
अनुच्छेद - 39
आदिवासियों को अधिकार होगा कि वे इस घोषणा में उल्लिखित अधिकारों का इस्तेमाल कर सकने के उद्देश्य से राज्यों से आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्राप्त कर सकें और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी ले सकें।
अनुच्छेद - 40
आदिवासियों को अधिकार है कि राज्यों एवं अन्य पक्षों के साथ चल रहे टकरावों और विवादों का समाधान न्यायसंगत और निष्पक्ष तरीकों से करने के वास्ते तुरंत निर्णय ले सकें और साथ ही, अपने व्यक्तिगत एवं सामूहिक अधिकारों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन का प्रभावी उपचार कर सकें। इस प्रकार के निर्णय में संबद्ध आदिवासी लोगों के रीतिरिवाजों, परंपराओं, नियमों एवं कानूनी प्रणालियों तथा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों पर समुचित ध्यान दिया जाएगा।
अनुच्छेद - 41
संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंग और उसकी विशेषित एजेंसियां तथा अन्य अंतरसरकारी संगठन वित्तीय सहयोग और तकनीकी सहायता के द्वारा इस घोषणा के प्रावधानों को पूर्णतया क्रियान्वित कराने में योगदान देंगे। आदिवासी लोगों को प्रभावित करने वाले मामलों में उनका सहयोग सुनिश्चित करने के तौर-तरीके भी तय किए जायेंगे।
अनुच्छेद - 42
संयुक्त राष्ट्र आदिवासियों के मुद्दों के बारे में स्थायी मंच सहित उसकी संस्थाएं और राष्ट्र स्तर की एजेंसियों समेत विशेषित एजेंसियां और राज्य इस घोषणा के प्रावधानों को पूरा सम्मान देते हुए इनके पूर्ण क्रियान्वयन के लिए प्रयास करेंगे तथा इस घोषणा की प्रभाविकता आंकने के उपाय भी अपनाएंगे।
अनुच्छेद - 43
इसमें शामिल अधिकार दुनिया भर के आदिवासियों के अस्तित्व, मान-सम्मान और कल्याण का न्यूनतम स्तर है।
अनुच्छेद - 44
इसमें शामिल सभी अधिकारों और स्वतंत्रताओं की सभी पुरुष और महिला आदिवासियों के लिए पक्की गारंटी होगी।
अनुच्छेद - 45
इस घोषणा के किसी भी अंश या प्रावधान को आदिवासियों के मौजूदा या भावी अधिकारों को कम या समाप्त करने का आधार न माना जाए।
अनुच्छेद - 46
1. इस घोषणा में शामिल किसी अंश या प्रावधान का अर्थ यह कदापि न लगाया जाए कि किसी भी राज्य, लोगों, समूह या व्यक्ति को ऐसा कोई अधिकार मिल जाएगा कि वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के विरुद्ध कोई कार्य कर सके अथवा ऐसे किसी भी कार्य को मान्यता या प्रोत्साहन मिल जायेगा जिससे सार्वभौम एवं स्वतंत्र राज्यों की राज्यक्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक एकता पर पूरी तरह अथवा आंशिक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
2. प्रस्तुत घोषणा में दिए अधिकारों को इस्तेमाल करते वक्त सभी के मानवाधिकारों और मूल अधिकारों का सम्मान किया जाएगा। इस घोषणा में नीहित अधिकारों का इस्तेमाल करते समय केवल क़ानून द्वारा निर्धारित और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के अनुरूप सीमाएं ही लागू होंगी। इस तरह की सीमा लगाने में कोई भेदभाव नहीं बरता जाएगा और इसका एक मात्र उद्देश्य अन्य सभी के अधिकारों और स्वतंत्रता की मान्यता और प्रतिष्ठा सुनिश्चित करना तथा लोकतांत्रिक समाज की न्यायसंगत एवं अनिवार्य मांगों को पूरा करना है।
3. इस घोषणा में शामिल प्रावधानों का अर्थ लगाते समय न्याय, लोकतंत्र, मानवाधिकारों के सम्मान, समानता, भेदभाव रहित व्यवस्था, कुशल प्रशासन एवं पूर्ण निष्ठा के सिद्धांतों को ही आधार माना जाएगा।
*****
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की सदस्यता दिनांक, शेत्रफल एवं जनसंख्या
*****
S.N.
|
Member State
|
Date of Admission
|
Aria
(km2)
|
Population
(In Thousand)
|
1.
|
Afghanistan
|
19-11-1946
|
6,52,090
|
20,500
|
2.
|
Albania
|
14-12-1955
|
28,748
|
3,410
|
3.
|
Algeria
|
08-10-1962
|
23,81,741
|
28,580
|
4.
|
Andorra
|
28-07-1993
|
453
|
63
|
5.
|
Angola
|
01-12-1976
|
12,46,700
|
11,500
|
5.
|
Antigua and Barbuda
|
11-11-1981
|
442
|
66
|
7.
|
Argentina
|
24-10-1945
|
27,80,400
|
34,500
|
8.
|
Armenia
|
02-03-1992
|
29,800
|
3,700
|
9.
|
Australia
|
01-11-1945
|
76,92,024
|
2,000
|
10.
|
Austria
|
14-12-1955
|
83,858
|
8,030
|
11.
|
Azerbaijan
|
02-03-1992
|
86,600
|
7,500
|
12.
|
Bahamas
|
18-09-1973
|
19,939
|
276
|
13.
|
Bahrain
|
21-09-1971
|
68,775
|
568
|
14.
|
Bangladesh
|
17-09-1974
|
1,48,393
|
1,18,700
|
15.
|
Barbados
|
09-12-1966
|
430
|
264
|
16.
|
Belarus
|
24-10-1945
|
2,07,600
|
10,400
|
17.
|
Belgium
|
27-12-1945
|
30,528
|
10,130
|
18.
|
Belize
|
25-09-1981
|
22,963
|
209
|
19.
|
Benin
|
20-09-1960
|
1,12,622
|
9,325
|
20.
|
Bhutan
|
21-09-1971
|
46,500
|
600
|
21.
|
Bolivia (Plurinational State of)
|
14-11-1945
|
10,98,581
|
8,070
|
22.
|
Bosnia and Herzegovina
|
22-05-1992
|
51,129
|
4,370
|
23.
|
Botswana
|
17-10-1966
|
51,129
|
4370
|
24.
|
Brazil
|
24-10-1945
|
85,47,404
|
1,59,100
|
25.
|
Brunei Darussalam
|
21-09-1984
|
5,765
|
276
|
26.
|
Bulgaria
|
14-12-1955
|
1,10,994
|
8,460
|
27.
|
Burkina Faso
|
20-09-1960
|
2,74,000
|
16,751
|
28.
|
Burundi
|
18-09-1962
|
27,834
|
10,216
|
29.
|
Cambodia
|
14-12-1955
|
1,81,035
|
9,290
|
30.
|
Cameroon
|
20-09-1960
|
4,75,442
|
12,200
|
31.
|
Canada
|
09-11-1945
|
99,70,610
|
28,500
|
32.
|
Cape Verde
|
16-09-1975
|
4,033
|
360
|
33.
|
Central African Republic
|
20-09-1960
|
6,22,984
|
4,950
|
34.
|
Chad
|
20-09-1960
|
12,84,000
|
6,280
|
35.
|
Chile
|
24-10-1945
|
7,36,905
|
13,290
|
36.
|
China
|
24-10-1945
|
95,98,089
|
13,36,718
|
37.
|
Colombia
|
05-11-1945
|
11,41,745
|
34,500
|
38.
|
Comoros
|
12-11-1975
|
1,862
|
536
|
39.
|
Congo
|
20-09-1960
|
3,41,821
|
29,040
|
40.
|
Costa Rica
|
02-11-1945
|
51,100
|
3,390
|
41.
|
Côte D'Ivoire
|
20-09-1960
|
3,20,783
|
13,720
|
42.
|
Croatia
|
22-05-1992
|
56,538
|
4,840
|
43.
|
Cuba
|
24-10-1945
|
1,10,860
|
10,980
|
44.
|
Cyprus
|
20-09-1960
|
9,251
|
725
|
45.
|
Czech Republic
|
19-01-1993
|
78,870
|
10,190
|
46.
|
Democratic People's Republic of Korea
|
17-09-1991
|
1,20,540
|
24,457
|
47.
|
Democratic Republic of the Congo
|
20-09-1960
|
23,44,858
|
71,712
|
48.
|
Denmark
|
24-10-1945
|
43,075
|
5,200
|
49.
|
Djibouti
|
20-09-1977
|
23,200
|
586
|
50.
|
Dominica
|
18-12-1978
|
748.5
|
74
|
51.
|
Dominican Republic
|
24-10-1945
|
48,442
|
7,770
|
52.
|
Ecuador
|
21-12-1945
|
2,75,830
|
11,700
|
53.
|
Egypt
|
24-10-1945
|
10,01,450
|
82,079
|
54.
|
El Salvador
|
24-10-1945
|
21,041
|
5,050
|
55.
|
Equatorial Guinea
|
12-11-1968
|
28,051
|
420
|
56.
|
Eritrea
|
28-05-1993
|
93,679
|
35,000
|
57.
|
Estonia
|
17-09-1991
|
45,100
|
1,600
|
58.
|
Ethiopia
|
13-11-1945
|
10,98,000
|
55,000
|
59.
|
Fiji
|
13-10-1970
|
18,270
|
883
|
60.
|
Finland
|
14-12-1955
|
3,38,117
|
5,100
|
61.
|
France
|
24-10-1945
|
5,43,965
|
57,800
|
62.
|
Gabon
|
20-09-1960
|
2,67,670
|
1,576
|
63.
|
Gambia
|
21-09-1965
|
11,295
|
1,030
|
64.
|
Georgia
|
31-07-1992
|
69,700
|
5,430
|
65.
|
Germany
|
18-09-1973
|
3,56,974
|
81,340
|
66.
|
Ghana
|
08-03-1957
|
2,38,537
|
16,470
|
67.
|
Greece
|
25-10-1945
|
1,31,957
|
10,400
|
68.
|
Grenada
|
17-09-1974
|
311
|
96
|
69.
|
Guatemala
|
21-11-1945
|
1,08,889
|
9,740
|
70.
|
Guinea
|
12-12-1958
|
2,45,857
|
6,500
|
71.
|
Guinea Bissau
|
17-09-1974
|
36,125
|
1,060
|
72.
|
Guyana
|
20-09-1966
|
2,14,969
|
730
|
73.
|
Haiti
|
24-10-1945
|
27,750
|
6,760
|
74.
|
Honduras
|
17-12-1945
|
1,12,088
|
5,290
|
75.
|
Hungary
|
14-12-1955
|
93,032
|
10,250
|
76.
|
Iceland
|
19-11-1946
|
1,03,000
|
267
|
77.
|
India
|
30-10-1945
|
32,87,260
|
11,89,172
|
78.
|
Indonesia
|
28-09-1950
|
19,19,443
|
1,91,360
|
79.
|
Iran (Islamic Republic of)
|
24-10-1945
|
16,48,000
|
63,200
|
80.
|
Iraq
|
21-12-1945
|
4,38,317
|
19,410
|
81.
|
Ireland
|
14-12-1955
|
68,894.5
|
3,560
|
82.
|
Israel
|
11-05-1949
|
21,946
|
5,470
|
83.
|
Italy
|
14-12-1955
|
3,01,302
|
56,960
|
84.
|
Jamaica
|
18-09-1962
|
11,425
|
2,470
|
85.
|
Japan
|
18-12-1956
|
3,77,812
|
1,25,570
|
86.
|
Jordan
|
14-12-1955
|
97,740
|
4,950
|
87.
|
Kazakhstan
|
02-03-1992
|
27,17,300
|
16,940
|
88.
|
Kenya
|
16-12-1963
|
5,82,646
|
26,440
|
89.
|
Kiribati
|
14-09-1999
|
810
|
100
|
90.
|
Kuwait
|
14-05-1963
|
17,818
|
1,590
|
91.
|
Kyrgyzstan
|
02-03-1992
|
1,99,900
|
4,460
|
92.
|
Lao People’s Democratic Republic
|
14-12-1955
|
2,36,800
|
4,600
|
93.
|
Latvia
|
17-09-1991
|
64,600
|
2,510
|
94.
|
Lebanon
|
24-10-1945
|
10,452
|
2,840
|
95.
|
Lesotho
|
17-10-1966
|
30,350
|
1,924
|
96.
|
Liberia
|
02-11-1945
|
1,11,370
|
3,786
|
97.
|
Libyan Arab Jamahiriya
|
14-12-1955
|
17,59,540
|
6,597
|
98.
|
Liechtenstein
|
18-09-1990
|
160
|
31
|
99.
|
Lithuania
|
17-09-1991
|
65,200
|
3,740
|
100.
|
Luxembourg
|
24-10-1945
|
2,586
|
707
|
101.
|
Madagascar
|
20-09-1960
|
5,87,040
|
21,926
|
102.
|
Malawi
|
01-12-1964
|
1,18,480
|
15,879
|
103.
|
Malaysia
|
17-09-1957
|
3,29,758
|
28,728
|
104.
|
Maldives
|
21-09-1965
|
298
|
238
|
105.
|
Mali
|
28-09-1960
|
12,40,190
|
14,159
|
106.
|
Malta
|
01-12-1964
|
246
|
370
|
107.
|
Marshall Islands
|
17-09-1991
|
180
|
67
|
108.
|
Mauritania
|
27-10-1961
|
10,30,700
|
3,281
|
109.
|
Mauritius
|
24-04-1968
|
2,040
|
1,303
|
110
|
Mexico
|
07-11-1945
|
19,67,183
|
84,440
|
111.
|
Micronesia (Federated States of)
|
17-09-1991
|
702
|
108
|
112.
|
Monaco
|
28-05-1993
|
1.95
|
30
|
113.
|
Mongolia
|
27-10-1961
|
15,66,500
|
2,200
|
114.
|
Montenegro
|
28-06-2006
|
13,810
|
661
|
115.
|
Morocco
|
12-11-1956
|
4,46,550
|
31,968
|
116.
|
Mozambique
|
16-09-1975
|
7,99,380
|
22,948
|
117.
|
Myanmar
|
19-04-1948
|
6,76,577
|
43,130
|
118.
|
Namibia
|
23-04-1990
|
8,24,290
|
2,147
|
119.
|
Nauru
|
14-09-1999
|
20
|
9
|
120.
|
Nepal
|
14-12-1955
|
1,47,181
|
19,360
|
121.
|
Netherlands
|
10-12-1945
|
41,446
|
15,420
|
122.
|
New Zealand
|
24-10-1945
|
2,67,710
|
4,290
|
123.
|
Nicaragua
|
24-10-1945
|
1,30,370
|
5,666
|
124.
|
Niger
|
20-09-1960
|
12,67,000
|
16,468
|
125.
|
Nigeria
|
07-10-1960
|
923,770
|
1,55,215
|
126.
|
Norway
|
27-11-1945
|
3,23,752
|
4,300
|
127.
|
Oman
|
07-10-1971
|
3,09,500
|
2,100
|
128.
|
Pakistan
|
30-09-1947
|
7,96,095
|
1,31,500
|
129.
|
Palau
|
15-12-1994
|
460
|
20
|
130.
|
Panama
|
13-11-1945
|
77,082
|
2,330
|
131.
|
Papua New Guinea
|
10-10-1975
|
462,840
|
6,187
|
132.
|
Paraguay
|
24-10-1945
|
4,06,752
|
4,500
|
133.
|
Peru
|
31-10-1945
|
12,44,284
|
23,130
|
134.
|
Philippines
|
24-10-1945
|
3,00,000
|
68,620
|
135.
|
Poland
|
24-10-1945
|
3,12,685
|
38,580
|
136.
|
Portugal
|
14-12-1955
|
91,905
|
9,900
|
137.
|
Qatar
|
21-09-1971
|
11,437
|
539
|
138.
|
Republic of Korea
|
17-09-1991
|
99,720
|
48,754
|
139.
|
Republic of Moldova
|
02-03-1992
|
33,850
|
4,314
|
140.
|
Romania
|
14-12-1955
|
2,37,500
|
22,760
|
141.
|
Russian Federation
|
24-10-1945
|
1,70,75,400
|
1,38,739
|
142.
|
Rwanda
|
18-09-1962
|
26,340
|
11,370
|
143.
|
Saint Kitts and Nevis
|
23-09-1983
|
261.6
|
44
|
144.
|
Saint Lucia
|
18-09-1979
|
617
|
136
|
145.
|
Saint Vincent and the Grenadines
|
16-09-1980
|
388
|
109
|
146.
|
Samoa
|
15-12-1976
|
2,840
|
193
|
147.
|
San Marino
|
02-03-1992
|
61.19
|
24
|
148.
|
Sao Tome and Principe
|
16-09-1975
|
960
|
179
|
149.
|
Saudi Arabia
|
24-10-1945
|
22,00,000
|
16,900
|
150.
|
Senegal
|
28-09-1960
|
1,96,720
|
12,643
|
151.
|
Serbia
|
01-11-2000
|
88,360
|
7,310
|
152.
|
Seychelles
|
21-09-1976
|
460
|
89
|
153.
|
Sierra Leone
|
27-09-1961
|
1,85,180
|
14,190
|
154.
|
Singapore
|
21-09-1965
|
707
|
4,740
|
155.
|
Slovakia
|
19-01-1993
|
49,035
|
5,300
|
156.
|
Slovenia
|
22-05-1992
|
20,251
|
2,000
|
157.
|
Solomon Islands
|
19-09-1978
|
28,900
|
571
|
158.
|
Somalia
|
20-09-1960
|
6,37,660
|
9,925
|
159.
|
Aouth Africa
|
07-11-1945
|
12,21,037
|
49,004
|
160.
|
South Sudan
|
14-07-2011
|
6,44,329
|
8,260
|
161.
|
Spain
|
14-12-1955
|
5,04,750
|
39,190
|
162.
|
Sri Lanka
|
14-12-1955
|
65,610
|
21,283
|
163.
|
Sudan
|
12-11-1956
|
25,05,810
|
45,047
|
164.
|
Suriname
|
04-12-1975
|
1,63,820
|
403
|
165.
|
Swaziland
|
24-09-1968
|
17,360
|
1,370
|
166.
|
Sweden
|
19-11-1946
|
4,49,964
|
8,820
|
167.
|
Switzerland
|
10-09-2002
|
41,129
|
7,020
|
168.
|
Syrian Arab Republic
|
24-10-1945
|
185180
|
21,615
|
169.
|
Tajikistan
|
02-03-1992
|
1,43,100
|
5,700
|
170.
|
Thailand
|
16-12-1946
|
5,13,120
|
66,720
|
171.
|
The former Yugoslav Republic of Macedonia
|
08-04-1993
|
25,710
|
2,077
|
172.
|
Timor-Leste
|
27-09-2002
|
14,870
|
1,177
|
173.
|
Togo
|
20-09-1960
|
56,790
|
6, 771
|
174.
|
Tonga
|
14-09-1999
|
750
|
105
|
175.
|
Trinidad and Tobago
|
18-09-1962
|
5,130
|
1,227
|
176.
|
Tunisia
|
12-11-1956
|
1,63,610
|
10,629
|
177.
|
Turkey
|
24-10-1945
|
7,79,452
|
61,180
|
178.
|
Turkmenistan
|
02-03-1992
|
4,48,100
|
4,400
|
179.
|
Tuvalu
|
05-09-2000
|
30
|
10
|
180.
|
Uganda
|
25-10-1962
|
2,41,040
|
34,612
|
181.
|
Ukraine
|
24-10-1945
|
6,03,700
|
52,140
|
182.
|
United Arab Emirates
|
09-12-1971
|
83,657
|
2,100
|
183.
|
United Kingdom of Great Britain and
Northern Ireland
|
24-10-1945
|
243,610
|
62,698
|
184.
|
United Republic of Tanzania
|
14-12-1961
|
947,300
|
42,746
|
185.
|
United States of America
|
24-10-1945
|
98,09,155
|
2,63,430
|
186.
|
Uruguay
|
18-12-1945
|
1,76,215
|
3,120
|
187.
|
Uzbekistan
|
02-03-1992
|
4,47,400
|
22,200
|
188.
|
Vanuatu
|
15-09-1981
|
12,190
|
224
|
189.
|
Venezuela (Bollivarian Republic of)
|
15-11-1945
|
9,12,050
|
27,635
|
190.
|
Viet Nam
|
20-09-1977
|
3,29,566
|
74,000
|
191.
|
Yemen
|
30-09-1947
|
5,55,000
|
15,800
|
192.
|
Zambia
|
01-12-1964
|
7,52,614
|
8,940
|
193.
|
Zimbabwe
|
25-08-1980
|
3,90,769
|
11,500
|
*****
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