* संविधान आदेश क्रमांक १९२, दिनांक
२०.२.२००३ द्वारा महामहिम राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित क्षेत्र
घोषित किया है.
* छत्तीसगढ़ राज्य में कुल १४६ विकासखंड हैं, जिसमें ८४ आदिवासी विकासखंड हैं.
* राज्य का कुल क्षेत्रफल १,३५,३३३ वर्ग किलोमीटर में से ८१,८८१.८८ वर्ग किलोमीटर अर्थात ६०.५८ प्रतिशत में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र है.
* छत्तीसगढ़ की कुल आबादी जनगणना २००१ के अनुसार २,०८,३३,८०३ में से आदिम जनजाति की जनसंख्या ६६,१६,५९६ हैं.
* भारतीय संविधान में अनुच्छेद १४(४) के अंतर्गत १३(४), १४(६), १५(४), १६(४), १६(४ए), ४६(२४३डी), २४४-१, २४४-२, २७५-१, ३३०, ३३२, ३३५, ३३८ए, ३३९(१), ३४२, १७(३)(४), ३२(२)- को अवश्य पढ़ें एवं संविधान के उपरोक्त प्रावधानों का पालन कराने में रागरुक रहें.
* छत्तीसगढ़ राज्य में कुल १४६ विकासखंड हैं, जिसमें ८४ आदिवासी विकासखंड हैं.
* राज्य का कुल क्षेत्रफल १,३५,३३३ वर्ग किलोमीटर में से ८१,८८१.८८ वर्ग किलोमीटर अर्थात ६०.५८ प्रतिशत में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र है.
* छत्तीसगढ़ की कुल आबादी जनगणना २००१ के अनुसार २,०८,३३,८०३ में से आदिम जनजाति की जनसंख्या ६६,१६,५९६ हैं.
* भारतीय संविधान में अनुच्छेद १४(४) के अंतर्गत १३(४), १४(६), १५(४), १६(४), १६(४ए), ४६(२४३डी), २४४-१, २४४-२, २७५-१, ३३०, ३३२, ३३५, ३३८ए, ३३९(१), ३४२, १७(३)(४), ३२(२)- को अवश्य पढ़ें एवं संविधान के उपरोक्त प्रावधानों का पालन कराने में रागरुक रहें.
पंचायत-उपबंध (अनुसूचित क्षेत्र पर विस्तार) अधिनियम, १९९६
(अधिनियम क्रमांक ४० सन १९९६)
भारत गणराज्य के सैंतालीसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नांकित रूप में यह अधिनियमित हो :-
धारा-१. इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम १९९६ है.
धारा-२. इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से
अन्यथा अपेक्षित न हो- “अनुसूचित क्षेत्रों” से ऐसे अनुसूचित क्षेत्र अभिप्रेत
है जो संविधान के अनुच्छेद २४४ के खंड (१) में नीहित है.
धारा-३. पंचायतो से संबोधित संविधान के भाग ९
के उपबंधों का, ऐसे अपवादों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए जिनका उपबंध धारा ४ में
किया गया है, अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार किया जाता है.
धारा-४. संविधान के भाग ९ में अंतर्विष्ट
किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य का विधान-मंडल, उक्त भाग के अधीन ऐसी कोई विधि
नहीं बनाएगा, जो निम्नलिखित विशिष्टियों में से किसी से असंगत हो, अर्थात :-
(क) पंचायतों पर कोई राज्य विधान जो
बनाया जाए रूढ़िजन्य, विधि, सामाजिक और धार्मिक पद्धतियों और सामुदायिक संपदाओं की परंपरागत
प्रबंध पद्धतियों के अनुरूप होगा,
(ख) ग्राम साधारणतया आवास या आवासों
के समूह अथवा छोटा गाँव या छोटे गावों के समूह से मिलकर बनेगा, जिसमे समुदाय
समाविष्ट हो और परंपराओं तथा रूढ़ियों के अनुसार अपने कार्यकलापों का प्रबंध करता
हो,
(ग) प्रत्येक ग्राम में एक ग्राम
सभा होगी जो ऐसे व्यक्तियों से मिलकर बनेगी, जिनके नामों का समावेश ग्राम स्तर पर पंचायत
के लिए निर्वाचक नामावलियों में किया गया है,
(घ) प्रत्येक ग्राम सभा, जनसाधारण की
परंपराओं और रूढ़ियों, उनकी सांस्कृतिक पहचान, सामुदिक संपदाओं और विवाद निपटान के रूढ़िक
ढंग का संरक्षण और परिरक्षण करने में सक्षम होगी.
(³) प्रत्येक ग्राम सभा –
(i) सामाजिक
और आर्थिक विकास के लिए योजनओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं का अनुमोदन, इसके पूर्व
कि ग्राम स्तर पर पंचायत द्वारा ऐसी योजना, कार्यक्रम और परियोजना कार्यान्वयन के
लिए ली जाती है, करेगी,
(ii) गरीबी
उन्मूलन और अन्य कार्यक्रमों के अधीन हिताधिकारियों के रूप में व्यक्तियों की
पहचान या चयन के लिए उतरदायी होंगी,
(च) ग्राम स्तर पर प्रत्येक पंचायत
से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह ग्रामसभा से, खण्ड (ड.) में निर्दिष्ट योजनओं, कार्यक्रमों
और परियोजनाओं के लिए उक्त पंचायत द्वारा निधियों के उपयोग का प्रमाण प्राप्त करें,
(छ) प्रत्येक पंचायत पर अनुसूचित
क्षेत्रों में स्थानों का आरक्षण, उस पंचायत में उन समुदायों की जनसंख्या के
अनुपात में होगा, जिनके लिए संविधान के भाग ९ के अधीन आरक्षण दिया जाना चाहा गया
है :
परन्तु अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण, स्थानों की कुल संख्या के आधे से कम
नहीं होगा, परन्तु अनुसूचित जनजातियों के अध्यक्षों के सभी स्थान, सभी स्तरों पर
अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित होगें.
(ज) राज्य सरकार ऐसी अनुसूचित जनजातियों
के व्यक्तियों का जिनका मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत में या जिला स्तर पर पंचायत में
प्रतिनिधित्व नहीं है, नाम निर्देशन कर सकेगी :
परन्तु ऐसी नाम निर्देशन उस पंचायत में निर्वाचित किए जाने वाले कुल सदस्यों
के दसवें भाग से अधिक नहीं होगा.
(झ) ग्राम सभा या समुचित स्तर पर पंचायतों के विकास परियोजनाओं के लिए अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अर्जन करने से पूर्व और अनुसूचित क्षेत्रों में ऐसी परियोजनाओं द्वारा प्रभारित व्यक्तियों को पुनर्व्यस्थापित या पुनर्वास करने से पूर्व परामर्श किया जाएगा, अनुसूचित क्षेत्रों में परियोजनाओं की वास्तविक योजना और उनका कार्यान्वयन उच्च स्तर पर समन्वित किया जाएगा,
(यँ) अनुसूचित क्षेत्रों में लघु जल निकायों की योजना और प्रबंध समुचित स्तर पर पंचायतों को सौंपा जाएगा.
(यँ) अनुसूचित क्षेत्रों में लघु जल निकायों की योजना और प्रबंध समुचित स्तर पर पंचायतों को सौंपा जाएगा.
(ट) ग्राम सभा या समुचित स्तर पर
पंचायतों की सिफारिशों को अनुसूचित क्षेत्रों में गौण खनिजों के लिए प्रर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा प्रदान करने के पूर्व आज्ञापक बनाया जाएगा.
(ठ) नीलामी द्वारा गौण खनिजों के
समुपयोजन के लिए रियायत देने के लिए ग्राम सभा या समुचित स्तर पर पंचायतों की पूर्व
सिफारिश को आज्ञापक बनाया जाएगा,
(ड) अनुसूचित क्षेत्रों में
पंचायतों को ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करने के दौरान, जो उन्हें स्वायत्त
शासन की संस्थाओं के रूप में कृत्य सुनिश्चित करेगा कि समुचित स्तर पर पंचायतों और
ग्राम सभा को विनिर्दिष्ट रूप में निम्नलिखित प्रदान किया जाए-
(i) मद्धनिषेध
प्रवर्तित करने या किसी मादक द्रव्य के विक्रय और उपभोग को विनियमित या निर्बंधित
करने की शक्ति,
(ii) गौण वन
उपज का स्वामित्व,
(iii) अनुसूचित
क्षेत्रों में भूमि के अन्य संक्रामण के निवारण की और किसी अनुसूचित जनजाति की
किसी विधि-विरुद्धतया अन्य संक्रमित भूमि को प्रत्यावर्तित करने के लिए उपयुक्त
कार्यवाई करने की शक्ति,
(iv) ग्राम
बाजारों को, चाहे वे किसी भी नाम से ज्ञात हों, प्रबंध करने की शक्ति,
(v) अनुसूचित
जनजातियों को धन उधार देने पर नियंत्रण करने की शक्ति,
(vi) सभी
सामाजिक सेक्टरों में संस्थाओं और कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण करने की शक्ति,
(vii) स्थानीय
योजनाओं और ऐसी योजनाओं के लिए जिनमें जनजातीय उपयोजनाएं हैं, स्त्रोतों पर
नियंत्रण रखने की शक्ति,
(ढ) ऐसे राज्य विधानों में, जो
पंचायतों को ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करें, जो उन्हें स्वायत्त शासन की
संस्थाओं के रूप में कृत्य करने के लिए समर्थ बनाने के लिए आवश्यक हों, यह
सुनिश्चित करने के लिए रक्षोपाय अंतर्विष्ट होंगे, कि उच्चतर स्तर पर पंचायतें,
निम्न स्तर पर किसी पंचायत को या ग्राम सभा की शक्तियां और प्राधिकार हाथ में न लें,
(ण) राज्य विधान मंडल अनुसूचित
क्षेत्रों में जिला स्तरों पर पंचायतों में प्रशासनिक व्यवस्थाओं की परिकल्पना करने
की छटी अनुसूची के पैटर्न का अनुरक्षण करने का प्रयास करेगा.
धारा-५. इस अधिनियम द्वारा किए गए अपवादों और
रूपांतरणों सहित संविधान के भाग ९ में किसी बात के होते हुए भी, उस तारीख के ठीक
पूर्व, जिसको राष्ट्रपति की अनुमति इस अधिनियम को प्राप्त होती है, अनुसूचित
क्षेत्रों में प्रवृत्त पंचायतों की अनुमति इस अधिनियम को प्राप्त होती है,
अनुसूचित क्षेत्रों में प्रवृत्त पंचायतों से संबंधित किसी विधि का कोई उपबंध, जो
ऐसे अपवादों और उपांतरणों सहित भाग ९ के उपबंधों से असंगत है, तब तक प्रवृत्त बना
रहेगा जब तक उसे किसी सक्षम विधान मंडल या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा संशोधित
या निरसित नहीं कर दिया जाता या उस तारीख से जिसको राष्ट्रपति की अनुमति इस
अधिनियम को प्राप्त होती है, एक वर्ष समाप्त नही हो जाता. परन्तु ऐसी तारीख के ठीक
पूर्व विद्दमान सभी पंचायतें अपनी अवधि के होने तक बनी रहेगी जब तक कि उन्हें उससे
पहले उस राज्य की विधान सभा द्वारा या किसी ऐसे राज्य की दशा में जिसमे विधान
परिषद है, उस राज्य के विधान मंडल के प्रत्येक सदन द्वारा उस आशय के पारित किसी
संकल्प द्वारा विघटित नही कर दिया जाता.
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