शनिवार, 23 अप्रैल 2011

"गोंडवाना सन्देश" की ओर से जैरासी ग्राम के बच्चों की शिक्षा के लिए रुपये 500/- प्रतिमाह आजीवन अंशदान

वर्ष 2009-2010 का वार्षिक अंशदान रूपये 6,000/- सरपंच
श्री नवल सिंह परते एवं पंचश्री केशर सिंह मरकाम
को प्रदान करते हुए श्री दिलीप सिंह परते

2009-2010 में कक्षा 5 वी में उच्चतर अंक प्राप्त करने पर 
कुमारी प्रेमलता पिता लखन को रूपये 1,000/- का पुरुष्कार
प्रदान करते हुए श्री दिलीप सिंह परते



वर्ष 2009-10 में कुमारी बिसनी पिता श्री अघन को कक्षा पांचवी की
परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त करने पर रूपये 500/-प्रधान पाठक
श्री चौहान को प्रदान करते हुए श्री दिलीप सिंह परते


वर्ष 2009-10 में कुमारी पार्वती पिता श्री किशन को कक्षा पांचवी
की परीक्षा में उच्चतर तीसरा स्थान प्राप्त करने पर रूपये 250/-
का पुरूस्कार प्रदान करते हुए श्री दिलीप सिंह परते



ग्राम जैरासी का आदिवासी सपूत श्री दिलीप सिंह परते, पिता श्री नवल सिंह परते, निज सचिव (वित्त, योजना एवं वाणिज्यिक कर विभाग), छत्तीसगढ़ शासन, मंत्रालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) का जन्म दिनांक 12 फ़रवरी, 1967 में इसी ग्राम में हुआ। इन्होने ग्राम जैरासी से वर्ष 1978 में प्राथमिक शिक्षा अर्जित किया। माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बैहर में प्रतिभावान क्षात्र के रूप में शिक्षारत होने के दौरान ही कला, संस्कृति, पर्यावरण और शिक्षा के प्रति शालेय एवं गैर शालेय, राज्य स्तरीय विभिन्न सांस्कृतिक मंचों में गीत-संगीत, नाट्यकला, लेखन इत्यादि विभिन्न विधाओं के माध्यम से अंचल के लोगों में कला, शैक्षणिक, सामाजिक जागरूकता का परिचय दिया है

आज हम ग्रामवासियों को बहुत ख़ुशी एवं गर्व है कि हमारे ग्राम जैरासी का सपूत छत्तीसगढ़ राज्य शासन में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हुए राज्य के विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनो से जुड़कर आदिवासियों में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक जागृति के लिए तन-मन-धन से कार्य कर रहे हैं।

हम ग्रामवासियों को 15 अगस्त, 2009 के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के अवसर पर अपनी संकल्पना से अवगत कराते हुए उन्होंने कहा कि अक्टूबर, 1996 से (शासकीय सेवा में नियुक्ति दिनांक से) वे अपने वेतन से प्रतिमाह रूपये 100/- के हिसाब से वर्ष 2009 तक ग्राम के प्राथमिक शाला के बच्चों की शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए जमा किया हुआ है, जो समय पर उनकी कापी, पैन, किताबों आदि कि लिए काम आएगा। उनके द्वारा समस्त ग्रामवासियों, पंचायत पदाधिकारियों तथा स्कूल के बालक-बालिकाओं के समक्ष रूपये 6,000/- की कापियां, पैन, पेन्सिल इत्यादि शैक्षणिक सामग्री एवं रूपये 10,000/- (रूपये दस हजार) नगद मुझे सौंपा गया तथा उनके द्वारा समाज के बीच पुनः यह संकल्प लिया गया कि वे वर्ष 2009 से अब अपने शासकीय सेवाकाल तक रूपये 500/- (रूपये पाँच सौ) प्रतिमाह अपने वेतन से ग्राम के स्कूल के बच्चों कि शैक्षणिक सामग्री हेतु प्रदान करेंगे तथा स्कूल से कक्षा पांचवी में सबसे उच्चतर अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को क्रमशः रूपये 1,000/-, 500/- तथा 250/- उनके प्रोत्साहन के लिए प्रतिवर्ष इनाम के रूप में देंगे।

दिनांक 15 अगस्त, 2010 को उन्होंने पूर्व वर्ष कि भांति हमारे ग्राम के स्कूल में मनाये जाने वाले स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में शामिल होकर अपने संकल्प के अनुसार सरपंच (ग्राम पंचायत जैरासी), ग्रामवासियों तथा छात्र-छात्राओं के समक्ष वर्ष 2010 की अंशदान राशी रूपये 6,000/- मुझे प्रदान किया गया तथा वर्ष 2009-10 में प्राथमिक शाला, ग्राम जैरासी सी पांचवी कि परीक्षा में उच्चतर अंकों से उत्तीर्ण होने वाले छात्राओं को जिसमे प्रथम कुमारी प्रेमलता पिता श्री लखन रूपये 1,000/-, कुमारी बिसनी पिता अघन रूपये 500/- तथा कुमारी पार्वती पिता श्री किशन को रूपये 250/- का इनाम उनके शैक्षणिक कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदान किया गया।

ग्राम के आदिवासी बच्चों कि शिक्षा को प्रोत्साहित करने वाले इस ग्राम के आदिवासी सपूत, युवा अधिकारी के संकल्प से हम ग्रामवासी, स्कूली बच्चे तथा पालकगण बहुत खुश हैं। उन्होंने अपने उद्बोधन में ग्रामवासियों को ग्राम के बालक-बालिकाओं के शिक्षा के प्रति अपनी भावनाओं से अवगत कराते हुए कहा कि शिक्षा जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। इस दौलत को प्राप्त करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। शिक्षा के बिना परिवार, समाज, ग्राम तथा देश का विकास संभव नहीं है। ग्राम के बच्चे पढ़ेंगे तो ही समाज का विकास आगे बढ़ेगा. शिक्षा के बिना जीवन अधुरा है। ग्राम, राज्य तथा देश के आदिवासी समाज में शिक्षा की कमी के कारण ही गरीबी, लाचारी, भुखमरी का दानव विकराल रूप धारण कर रहा है। अशिक्षा आदिवासी समाज के अस्तित्व के विनाश की ओर ले जा रहा है तथा शराब और नशा जीवन का नाश कर रहा है। उन्होंने ग्रामवासियों से अनुरोध किया कि ग्राम के सभी बच्चों को स्कूल भेजें। ऐसे पालक जो समय पर बच्चो की शिक्षा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, उनकी शैक्षणिक आवश्यकताओं की स्टेशनरी आदि की पूर्ती के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे।

समाज सेवा के रूप में सच्चे मन से अपने ग्राम के बच्चों के शैक्षणिक विकास हेतु बीड़ा उठाने वाले इस आदिवासी सपूत का हम समस्त ग्रामवासी हृदय से आभारी हैं।

नगारची मरकाम,
ग्राम पटेल, जैरासी

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