सच्चिदानंद सोरेन
संताल आदिवासियों का बेलबोरोन पूजा |
"बेलबोरोन पूजा संताल
आदिवासी मानते हैं" जब धरती मे मनुष्यों द्वारा पाप बहुत बढ़ गया तो ठकुर ने 12 दिन और 12 रात सेगेल दाह (अग्नि बान) धरती
के सिंगबीर और मानबीर में गिराये और इसके साथ-साथ पुहह (जीवाणु/वायरस) भी छोड़े और
मनुष्य जाति को ख़त्म करने का निर्णय भी लिये. जब यह बात ठकरन को पता चला तो उसने
ठकुर से कहा ये सभी हमारे ही बच्चे है इन सभी को नाश नहीं करे. ऐसा करने से हमें ही
हानि होगी. इसके लिये मै लिटह (मराङ बुरु) से बात करुगी और हम दोनों मिलकर मनुष्यों
को धर्म के रास्ते वापस लायेगे.इसके लिये ठकरन ने लिटह (मराङ बुरु) को
मोनचोपुरी (पृथ्वी लोक) से शिरमापुरी (देवलोक) बुलायी और कही- मनुष्य पाप के रास्ते
चल पड़ा है जिस कारण ठकुर इन मानव जाति को नाश करने वाले है. ठकुर का संदेश है कि
हम दोनों (ठकुर और ठकरन) का सपाप (आभूषण और वस्त्र) मोनचोपुरी (पृथ्वी लोक) ले जाये
और मनुष्य दशांय नृत्य और गीत के माध्यम हमारा गुणगान करे. मेरा
सुनुम-सिंदुर (तेल-सिंदुर) ले जाये और गांव- गांव घुमाये. मेरा सपाप (आभूषण और वस्त्र)
साड़ी, शंका, काजल आदि और ठकुर का सपाप (आभूषण
और वस्त्र) लिपुर,पैगोन,मोर पंख आदि ले जाये. कुछ लोग
मेरा सपाप(आभूषण और वस्त्र)पहने और कुछ लोग ठकुर का सपाप(आभूषण और वस्त्र) पहने और
दशांय नृत्य और गीत के माध्यम हमारा गुणगान करे.ऐसा करने पर ठकुर खुश हो जायेगे, उन्हें बिश्वास हो जायेगा कि
मनुष्य पाप छोड़ धर्म के रास्ते चल पड़ा है, तब वे मनुष्य जाति का नाश नहीं करेगे. ठकरन ने लिटह (मराङ बुरु) से यह भी कहा
कि मैं 12 गुरु बोंगाओ (गुरु देवताओ) को भी
जाने के लिये कहुगा जो अपने-अपने कार्य क्षेत्र मे निपुण है. जैसे धरोम गुरु बोंगा-धर्म और धन, कमरू गुरु बोंगा-रोग मुक्ति, भुवग गुरु बोंगा- नृत्य, संगीत आदि. इन सभी को घर-घर
घुमाओ, इससे ठकुर के माध्यम से मनुष्य
जाति को ख़त्म करने के लिये छोड़े गए पुहह (जीवाणु/वायरस) के माध्यम से जो बीमारी
फैली है वह इन गुरु बोगाओ (गुरु देवताओ) के माध्यम से खत्म हो जायेगा. इन गुरु
बोगाओ (गुरु देवताओ) के माध्यम से मनुष्य बीमारियो का इलाज, दवा, जड़ी-बुटी, धर्म, तंत्र-मंत्र आदि सिखेगा. मोनचोपुरी (पृथ्वी
लोक) मे मनुष्य गुरु बोगाओ से गुरु-शिष्य का सम्बंध स्थापित कर हमारा गुणगान
करे. आगे ठकरन ने कहा- मैं दशांय चांदु (संताली महीना) के छट्टा दिन (6th Day) को मोनचोपुरी (पृथ्वी लोक) मे
गुरु बोगाओ(गुरु देवताओ) के साथ अवतरित होगी.इस दिन को संताल आदिवासी “बेलबोरोन पुजा” करते है.इस बेलबोरोन पुजा मे
धरोम गुरु बोंगा (2)कमरू गुरु बोंगा(3)भुवग गुरु बोंगा (4)कांशा गुरु बोंगा (5)चेमेय गुरु बोंगा (6)सिद्ध गुरु बोंगा (7)सिदो गुरु बोंगा (8)रोहोड़ गुरु बोंगा (9)गांडु गुरु बोंगा (10)भाइरो गुरु बोंगा (11)नरसिं गुरु बोंगा (12)भेन्डरा गुरु बोंगा की पूजा
करते है. बेलबोरोन पुजा के एक सप्ताह पहले से गुरु-शिष्य गांव मे आखड़ा बांधते है
जहा गुरु शिष्यो को मंत्र की सिद्धी, परंपरागत चिकित्सा विधि आदि का ज्ञान देते है. इसी दौरान गुरु-शिष्य पहाङ सहित
कई जगहों पर जड़ी-बुटी के खोज मे जाते है जहाँ गुरु शिष्यो को जड़ी-बुटी की पहचान
और उसका उपयोग किन बीमारियो मे किया जाता है का ज्ञान देते है. बेलबोरोन पुजा के
दुसरे दिन से तीन दिन लगातर गुरु-शिष्य गुरु बोंगाओ को लेकर गांव-गांव घुमाते है
और दशांय नृत्य और गीत के माध्यम ठकुर और ठकरन का गुणगान गाते है और साथ–साथ भक्तों के घर मे सुख-शांति, धन आदि के लिये पुजा करते है.
बेलबोरोन पुजा के चौथा और अंतिम दिन अपने गांव मे दशांय नृत्य और गीत करते है.इस
तरह संतालो का बेलबोरोन पुजा गुरु- शिष्य का अट्तुथ सम्बन्ध का पूजा है.जो हमें
पाप नहीं करने, धार्मिक बने रहने, समाज को रोग मुक्त बनाये रखने, परंपरागत जड़ी-बुटी चिकित्सा
विधि को जीवित रखने, परंपरागत नाच गाने को बचाये
रखने और खुश रहने का संदेश देता है.
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