शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

फेसबुक बना विश्वस्तरीय आदिवासी महापंचायत का माध्यम

राजन कुमार 
साभार जनज्वार 

बड़वानी जिले में १६ मई २०१३ को
आदिवासी युवाओं का पंचायत 

भारत में आदिवासियों की स्थिति काफी दयनीय है, कहीं भी आदिवासियों के साथ कुछ भी होता है तो सभी को पता नहीं चल पाता, लेकिन अब फेसबुक ग्रुपों के माध्यम से आदिवासी अपने क्षेत्र के समस्याओं को एक-दूसरे से आदान प्रदान कर रहे हैं.

मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में १६ मई २०१३ को सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक के माध्यम से एकजुट हुए आदिवासी युवाओं की पंचायत की सफलता से आदिवासी युवा काफी उत्साहित हैं. ये युवा आदिवासियों के हित में ठोस कदम उठाने के लिए विश्व स्तरीय फेसबुक महापंचायत करने की तैयारी में हैं.

'आदिवासी युवा शक्ति' के आर्गनाइजर दिल्ली के एम्स अस्पताल में कार्यरत डॉ. हीरा लाल अलावा के मुताबिक़ आदिवासियों के विकास, अधिकार और न्याय के लिए अक्टूबर महीने में मध्यप्रदेश के इंदौर में "विश्व स्तरीय आदिवासी युवा शक्ति फेसबुक महापंचायत २०१३" आयोजित करने का आह्वान किया गया है. इस महापंचायत में भारत के अलावा विदेशों से भी आदिवासी युवा भाग लेंगे.

डॉ. हीरा लाल अलावा ने बताया कि फेसबुक हम आदिवासियों के लिए सोशल मीडिया की तरह काम कर रहा है. इंटरनेट की दुनिया में आज हर कोई इंटरनेट का प्रयोग करने लगा है. मोबाईल, कंप्यूटर, आईपेड इत्यादि इंटरनेट उपलब्ध कराने के सुलभ साधन हैं. हम देश विदेश के किसी भी कोने में रहते हैं, लेकिन फेसबुक हम आदिवासियों को एकजुट करने का एक अच्छा मंच बन गया है, जहां हम अपने समस्याओं पर चर्चा करते हैं और रणनीति तैयार करते हैं.

'आदिवासी युवा शक्ति' के सदस्य रतलाम के जिला अस्पताल में डॉ. अभय ओहरी, बड़वानी में 'दलित आदिवासी दुनिया' के ब्यूरो चीफ चेतन अर्जुन, बालाघाट में आरपीएफ के जवान विक्रम अछालिया समेत अनेकों आदिवासी युवा फेसबुक के साथ-साथ जमीन पर आदिवासी लोगों को जागृत कर रहे हैं. ये लोग जमीनी स्तर पर काम करते हुए भी फेसबुक पर ही अपने विचार रखते हैं और आगे की रूपरेखा तैयार करते हैं.

फेसबुक पर 'गोंडवाना फ्रेंड्स' के नाम से भी एक ग्रुप बनाया गया है, जो गोंड आदिवासियों के एकजुटता का मिसाल कायम कर रहा है. फेसबुक में इस तरह के कई सारे ग्रुप हैं. इस तरह फेसबुक आदिवासियों के लिए एक मंच बन चुका है. भिलाला, हो पीपुल, आयुष आदिवासी युवा शक्ति, अखिल भारतीय आदिवासी नेटवर्क, नेशनल इंडियन ट्राइबल युवा शक्ति, गोंडवाना स्टूडेंट युनियन, बरेला, पॉलिटिक्स ऑफ़ भिलाला जैसे अनेकों फेसबुक ग्रुप है, जो आदिवासियों को एक मंच प्रदान कर रहे हैं. हर ग्रुप में ४ हजार से लेकर १० हजार तक मेंबर बन चुके हैं.

हैदराबाद में थॉमसन रायटर के लिए काम करने वाले चंद्रेश मरावी कहते हैं कि सोशल साईट पढ़े-लिखे आदिवासी युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. नवी मुंबई से पर्वत सिंह मार्को, आदिलाबाद से बैंकर राजकुमार सियाम कहते हैं कि भारत में आदिवासियों की स्थिति काफी दयनीय है, कहीं भी आदिवासियों के साथ कुछ भी होता है तो सभी को पता नहीं चल पाता है, लेकिन अब ग्रुपों के माध्यम से आदिवासी अपने क्षेत्र के समस्याओं को एक-दूसरे से आदान-प्रदान कर रहे हैं.

डॉ. हीरा लाल अलावा के अनुसार अक्टूबर महीने में इंदौर में होने वाला "विश्व स्तरीय आदिवासी युवा शक्ति फेसबुक महापंचायत २०१३" भविष्य के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा. सरकार अगर हम लोगों को हलके में ले रही है, तो यह उसकी भूल है. आदिवासियों के साथ जो दुर्व्यवहार किया जा रहा है, वह बर्दास्त नही होगा. अक्टूबर महीने में इंदौर में आयोजित होने वाले इस महापंचायत में फैसला लिया जायेगा कि आगे क्या करना है. आदिवासियों के साथ हुए घोर अन्याय का सरकार को जवाब देना होगा.
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1 टिप्पणी:

  1. आदिवासियों के साथ हुए घोर अन्याय का सरकार को जवाब देना होगा.

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