शनिवार, 22 नवंबर 2014

विद्या की देवी सावित्री बाई फुले

पी.एन.बैफलावत


हमारे एक देवी सरस्वती जी को भारत के लोगों को शिक्षित करने का ठेका 4000 साल से मिला हुआ है, पर वो अभी तक भारत के लोगों को 100% साक्षर भी नही कर पाईं, जबकी विश्व के 100 से अधिक देश जो ईसाई और मुश्लिम धर्म को मानते हैं, जहां इस विद्या की देवी सरस्वती का अस्तित्व भी नहीं हैं, फिर भी 100% साक्षर हैं, यह क्या है ?

क्या आपके मन में यह यक्ष प्रश्न नहीं उठता, कि वैदिक काल और अंग्रेजों के आने तक तो यह सरस्वती इन द्विज लोगों के गले में ही क्यों बसती थी ? अंग्रेजों ने सबके लिए शिक्षा के प्रयास और ज्योतिबाफुले दंपत्ति के प्रयास से शूद्र कहलाने वाले देश के लोगों के गले में बसना भी प्रारम्भ कर दिया. ये सब क्या है, जो हम इन धूर्त लोगों का विश्वास कर सरस्वती को विद्या की देवी मानते आ रहे हैं ? हम इन धूर्त लोगों के चंगुल से अपने आप को कब तक मुक्त कर पायेंगे, इस पर गंभीरता से विचार करो.

यह प्रश्न उठता है कि सरस्वती विद्या की देवी हैं, तो सिर्फ भारतीयों के लिए ही या भारत के बाहर के विदेशियों के लिए भी ? विदेशों में सरस्वती का कहीं नामोनिशान नहीं है. तब हम ऐसा क्यों नही कहते कि सरस्वती सिर्फ भारतीयों के लिए विद्या की देवी है ? शिक्षा की क्या स्थिति अपने देश में तथा विदेशों में हैं, इसका आंकड़ा देकर सरस्वती के द्वारा शिक्षा की देन पर मै बात करना बेहतर समझूंगा.

हिन्दू मानसिकता इस्लाम धर्म को अपना विरोधी मानती रही है. इस्लाम प्रधान देशों पर तो किसी सरस्वती को विद्या की देवी की कृपा होने का प्रश्न ही नहीं है. आज की तारीख में अजरबैजान, अल्जीरिया, उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किरजिस्तान, तुर्की, कुवैत, जोर्डन, तजाकिस्तान, बहरीन, मालदीव आदि इस्लाम धर्म प्रधान देश हैं. इन इस्लामिक देशों में शिक्षा की दर शत प्रतिशत है. बिना विद्या की देवी सरस्वती के इन देशों के नागरिकों ने शत प्रतिशत शिक्षा हासिल की है.

चीन, जापान, उत्तरी कोरिया, दक्षिण कोरिया, ताईवान, थाईलेंड, भूटान, मंगोलिया, बर्मा, वियतनाम आदि बौद्ध धर्म प्रधान देश हैं. इन बौद्ध धर्म प्रधान देशों के लोग पूर्णरूपेण अनीश्वरवादी नास्तिक हैं. उन्हें शिक्षा की किसी देवी सरस्वती से कोई लेना देना नहीं है. मगर इन बौद्ध प्रधान देशों के लोग शत प्रतिशत शिक्षित हैं. सैकड़ों ईसाई देशों के लोग शत प्रतिशत शिक्षित हैं. आधुनिक युग में शिक्षा के स्त्रोत ईसाई प्रधान देश ही रहे हैं, खासकर ब्रिटेन की ईसाई मिशनरी. इन सब देशों से अलग भारत और नेपाल हिन्दू धर्म प्रधान देश हैं, जहां के बच्चे रात दिन सरस्वती की वंदना करते रहते हैं. आप सभी को पता है कि भारत और नेपाल हिन्दू धर्म प्रधान देशों में शिक्षा की क्या प्रतिशत है.

सरस्वती विद्या की देवी जरूर है, मगर यह ऐसी देवी रही, जिसे ब्राम्हणों को छोड़कर सभी अछूत नजर आये, उनके कंठों में विराजना अपना अपमान समझती रही. उनको अशिक्षित करती रही और ब्राम्हणों को शिक्षित. आज भारत में शिक्षा की जो सुधरी हुई स्थिति है, वह सरस्वती नहीं माता सावित्री बाई फुले की देन है. आम लोगों की शिक्षा के जनक और जननी तो महामना ज्योतिबा फुले और माता सावित्री बाई फुले हैं. अंग्रेज मैकाले की शिक्षा प्रसार नीति की जड़ में फुले दंपत्ति थे. उनका पूरा समर्थन और सहारा लेकर लार्ड मैकाले ने भारत में शिक्षा का प्रसार किया.

अतः हमें ज्योतिबा फुले दंपत्ति को नमन करना चाहिए. भारत में ज्योतिबा तथा सावित्री बाई फुले ने दबे कुचले लोगों एवं स्त्री शिक्षा प्रारम्भ करके नई युग की नीव डाली. नारी समता का भारत में यह प्रथम प्रयास था और यही स्त्री मुक्ति आंदोलन का इतिहास बनता है. इसी कड़ी में फुले दंपत्ति ने 18 स्कूल खोले. अनेकानेक व्यंग बाणों, बाधाओं, कठिनाईयों और लांछनों को सहते हुए भी शूद्रातिशूद्रों एवं स्त्री वर्ग को ज्ञान दान देने वाले व्यक्तित्व द्वारा सावित्री बाई ने यह साबित कर दिया कि वही नवजागरण काल की प्रथम भारतीय समाज सेविका अध्यापिका है, जिसने आने वाली पीढ़ियों के लिए दीप स्तंभ बनकर पथ प्रदर्शन किया. सावित्री बाई फुले वैदिक काल से शिक्षा के वंचित वर्गों के वास्तविक सरस्वती थी. महाराष्ट्र के सतारा जिले में सावित्री बाई का जन्म 3 जनवरी, 1831 में हुआ. इनके पिता का नाम खंडोजी नवसे पाटिल और माँ का नाम लक्ष्मी था. सन 1840 में 9 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह पूना के ज्योतिबा फुले के साथ हुआ.

सच पूछा जाए तो विद्या व ज्ञान की देवी का नाम सरस्वती न होकर सावित्री बाई फुले है, था और रहेगा. क्या आप सहमत हो ? ऐसी महान देवी को उनके जन्मदिवस पर हार्दिक नमन.
                                           ----००००----

सोमवार, 9 जून 2014

प्रधानमंत्री की आदिवासी नीति

देश के आदिवासियों ने अन्य लोगों के साथ भारी बहुमत से देश के प्रधानमंत्री पद पर नरेन्द्र मोदी को चुना है. जाहिर है आदिवासी समाज राष्ट्र के १५वे प्रधानमंत्री से आशा और मांग करता है कि उन्हें जल, जंगल और जमीन से विस्थापित न किया जाए. विकास के नाम पर विस्थापन का दंश झेल रहे आदिवासी समाज को आशा है कि उनके परम्परागत जीवन को विकास के नाम पर बलि न चढ़ाया जाए.

आजादी के बाद भारत को १५०० बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के कारण १.६ करोड़ की आबादी विस्थापित हुई, इनमे ४० प्रतिशत आदिवासी थे. इस तरह आदिवासियों के जीविकोपार्जन का परम्परागत साधन छीन लिया गया, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती. वैश्वीकरण का दुष्प्रभाव का विवरण देते हुए विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (एस.सी.ई.) के निर्देशक सुनीता नारायण ने सितम्बर २०११ में रपट जारी करते हुए यह तथ्य उजागर किया कि ११वी पंचवर्षीय योजना के तहत इतनी परियोजनाओं को वैन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी, जो १२वी पंचवर्षीय परियोजना के लक्ष्य से अधिक है.

बाँध परियोजना, राष्ट्रीय उच्च मार्ग, रेलवे लाईन, खनन व्यवसाय, औद्योगीकरण, अभ्यारण एवं अन्य कारणों से आदिवासियों का अनिवार्य विस्थापन होता है तो उन्हें पारंपरिक जमीन व परिवेश से विस्थापित होकर जीविका की तलाश में अन्यत्र पलायन करने को विवस हो जाना पड़ता है, क्योंकि उनकी जीविका का एक मात्र आधार ही समाप्त हो जाता है. प्रशन उठता है कि उनके जीविकोपार्जन के विकल्प की तलाश क्यों नही की जाती ?

आदिससियों के हित में संविधान की पांचवी अनुसूची के प्रावधानों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करते हुए आदिवासियों को विस्थापित किया जाता है, जबकि संविधान के प्रावधानों के अनुसार आदिवासियों को उनकी पुश्तैनी जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर मालिकाना अधिकार की गारंटी दी गई है.

राष्ट्रीय आदिवासी नीति में भी निम्न प्रावधान रखे गए हैं :-
१.  भूमि के एवज में कम से कम दो हेक्टेयर उपजाऊ जमीन, जिसमे एक परिवार आसानी से गुजारा कर सके.
२.  नये स्थान पर आरक्षण के लाभ.
३.  वनोपज पर अधिकारों की समाप्ति के बदले अतिरिक्त वित्तीय सहायता जो छह माह से एक वर्ष की न्यूनतम कृषि मजदूरी के सामान हो.
४.  सामाजिक, धार्मिक आयोजनों के लिए भूमि मुफ्त में उपलब्ध कराई जाए.
५.  सामूहिक विस्थापन की दशा में नये स्थान पर पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, सफाई, शिक्षा, उचित मूल्य की दूकान, सामुदायिक केंद्र, पंचायत कार्यालय आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए.

याद रहे कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने आदिवासी विकास के पंचशील तय किये थे, जो निम्नानुसार हैं :-
१.  आदिवासियों का विकास उनकी मनोदशा एवं परम्पराओं के आधार पर होना चाहिए. बाहर से थोपी जाने वाली नीति के तहत नहीं. इस क्षेत्र में आदिवासी परम्परागत कला व संस्कृति पर जोर दिया जाये.
२.  आदिवासियों के जंगल व जमीन पर अधिकारों का सम्मान किया जाये.
३.  प्रशासन एवं विकास में आदिवासियों के प्रतिनिधित्व को महत्व दिया जाना चाहिए. तकनीकी विशेषज्ञ शुरुवात में बाहर से लाये जा सकते हैं, अन्यथा बाहरी व्यक्तियों के हस्तक्षेप को नहीं के बराबर रखना चाहिए.
४.  आदिवासियों के परम्परागत समाज व सांस्कृतिक संस्थाओं के आधार पर ही आदिवासी क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए.
५.  आदिवासी विकास का मापदंड खर्च की जाए वाली राशि एवं विकास के आंकड़ों पर आधारित ना होकर विकास की गुणवत्ता के आधार पर होनी चाहिए.

आशा है माननीय प्रधानमंत्री जी आदिवासियों के लिए तय किये गए उपरोक्त पंचशील पर गौर करेंगे और राष्ट्रीय आदिवासी नीति की घोषणा शीघ्र करेंगे.
साभार दलित आदिवासी दुनिया  

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

गोंड सगावेन समुदाय की गोत्रावली

       गोंडी पूनेम मुठ्वा रूपोलंग पहांदी पारी कुपार लिंगो द्वारा कोया वंशीय गोंड समुदाय को कुल 12 सगा में विभाजित किया गया है, जिसमे प्रथम 7 देव शाखा में सौ-सौ और शेष भूमका देव सगा शाखा में दस-दस देव शाखा गोत्र सगाओं के नाम हैं, जिनकी सूची मावा सगा पाडिंग में जलपति वट्टी द्वारा निम्नानुसार दी गई है :-

1. उंदाम या उंदीवेन सगा (एक देव सगा) के गोत्र नाम एक देव का नाम- ताराल गोंगो, झंडा रंग- आसमानी

अंगाम
उकाम
कन्वाती
तडोपा
येलांडी
विजाम
अक्काम
उक्राम
कंगाम
ताईका
येरीयाम
विहका
अंदराम
उर्याम
गुंदाम
नयटी
येडगाम
चेट्टाम
अरावी
उर्वाटी
गोंदराम
नगसोरी
येरमाल
वेरकाल
अर्वाल
उर्पिटाम
गीवांगा
नलीयाम
शयगुडा
वेलांडी
अलांडी
एराम
चट्टाम
पंडाम
रेहकाम
वेदराम
अलगाम
एन्दाम
चितकामी
पईका
रेलापाती
वराती
अर्राटी
एडकाल
चर्वाटा
पिलकाटा
लवाटी
वलामी
अर्सेडी
एक्राम
चुमगोदा
मुरपाती
लगाम
संगाम
अर्राम
एन्नाका
जुग्गाम
मुर्राम
लचियाम
सड़ाम
अर्रारा
ओयाम
झिल्लाम
देडाम
लिंगोटा
सरपाती
अयमा
ओर्वा
टंगाम
दर्राम
वंजाम
सोरती
इंगाम
ओराटी
टिरकाटा
दिर्माका 
वर्दाम
सूर्माकी
अडाम
ओर्साम
टोयका
दिगरम
वरीयाम
सुर्वेलाम
इजाम
कंगाम
तेजाम
येवनाता
वडकाल
सोगामी
इरपुंगाम
ककराम
तरावी
येर्काल
वडाम
सुईका
इमाची
कुरनाका
तरकोला
काना 

2. चिन्दाम या रंडवेन सगा (दो देव सगा) के गोत्र नाम दो देव का नाम- (1) ताराल गोंगो, (2) माराल गोंगो, झंडा रंग- सेंदरी

अंगराम
एटाम
कहाका
गडाम
चुराटी
नट्टाम
डोलाम
दलांडी
पडगाम
पुंगाम
अक्राम
एहचाडा
कवटाम
गदुर्काया
चुटामी
टकाम
तिरावी
दरावी
पट्टाम
दुईका
आदराम
ओटाम
किक्राम
गोयका
चुकराम
टीर्राम
तुर्वांडा
दुर्लाम
पंचाम
पेन्नाका
इंगामी
ओनाका
कुलनाका
तरपती
चेलकाटा
टिंगलाम
तोराटी
दुराम
एगाम
बारनाका
इदाम
कडाम
कुरपाती
चंगाम
चेर्वाटा
टुकाम
तोलाम
दुरीयाम
पंडाम
मिलाम
इचाम
ककाम
कुराम
चिंदाम
चोडाम
टोडमाती
तेडगाम
दासेडाम
पिडगाम
रायताम
इडोपा
चेंदाम
केहाका
चिलाम
चोहका
डुचाम
तोर्गाम
दोराम
पिचाम
सोनवारी
उंगाम
कलाम
कोमतारी
चिकाली
जन्नाम
डुरीयाम
भादिया
दोमोकसा
पिरावी
लंगाम
उलाम
कचाम
कोहपाडा
चुडाम
झीलम
डुईका
तोयाम
नागोताम
पिराटी
लायसेंगा
उचाम
कडाम
कोलया
चंदराम
टक्राम
डुकराम
तोहगाम
नर्काम
पिर्साम
कोर्वाम

3. कोंदाम या मूंदवेन सगा (तीन देव सगा) के गोत्र नाम तीन देव का नाम- (1) जुगाल गोंगो, (2) मुगाल गोंगो, (3) सुकाल गोंगो, झंडा रंग- जामुनी

अटाम
उडाम
कक्राम
गेचाम
चिताम
पुडाम
नवराती
पुर्चाम
मंदाम
सोरांडी
अलकाना
उटाम
कडोपा
गोयाम
चिर्मोटा
तिर्याम
नलकाम
पुसीयाम
मिन्काटा
हुर्मेता
ओयाम
उर्पाती
कसेंडी
तिसाम
जुतराम
तुराम
नायका
पेन्दावी
येसराम
वराटी
ओयमा
उस्टाम
कींगराम
तुहाका
टोर्याम
तोतला
निर्पाती
पोंडाम
अड़काम
विक्रा
इक्राम
एसरा
किलाप
चलका
डंगराम
तोर्यामी
निर्लाम
पुयाम
रेलकाटा
सिलाम
इताम
चंदाम
कुन्दाम
चलांडी
डुर्वाल
दिननाकी
नुंजाम
पुडका
लोसका
सीर्वाटा
इर्काया
चेलाम
कुंदराम
चीरोया
डेराम
दावाम
रेंगाम
पराम
वेर्लांटी
सेरपाती
इसराम
ओताम
कोंदोम
चिर्चामी
तल्लाम
नर्काम
बलपाती
पेसाम
सेलाम
सुडाम
इलाम
ओरावी
कोयकाटा
चिस्ताम
तईका
नतराम
नेलकाम
पोंगामी
पेडमा
एलगाम
इलनाका
कथराम
गुसराम
चिडोपा
नुतामे
नारोमी
परामी
पेनाम
सिरसाटा
ओसराम

4. नालवेन सगा (चार देव सगा) के गोत्र नाम चार देव का नाम- (1) माल, (2) लाल, (3) काल (4) पाल गोंगो, झंडा रंग- लाल

अडाम
इलांडी
एचाम
कट्राम
कीरकाटा
टेक्का
चिनगाम
तुच्चाम
हिडाम
चीकराम
अंचाम
इलगाम
एरावी
कंद्राम
कुयमा
कोचरामी
चुलमाती
तुम्माम
हिलाम
वाल्काम
अतलाम
इरुकाम
एर्वाटी
कराई
कुचाम
कोरकाटी
चर्वाटा
नेताम
पुर्साम
चिलाम
अडगाम
उंदराम
एर्मेन्ता
केटाम
कुर्कामी
कोवा
चिलाम
परचाकी
मुर्काकी
सीताम
अडोपा
उराम
ओंगाम
कवाम
कुयाम
कोवाची
टोर्पाकी
मंगाम
मरपाची
जालकाटा
अबाबा
उसराम
ओर्चाम
कलाटी
कुयका
कोवासे
टोप्पाम
सरमाकी
सीराम
कुसराम
ईटावी
कर्कामी
कर्वाटी
किजाम
कुडयाम
गटाम
तेकाम
सेडमाके
सरकाटी
नेयती
इंदरम
उर्षाम
कराम
कींदराम
कचीमुरा
गेटाम
मुरका
सुर्पाडा
पोयाम
नटोपा
इडगाम
एडाम
कंदाम
कीन्वाती
कुर्राती
चडाम
तोहाकाटी
तलांजा
ताराटी
पस्ताकी
इर्काल
एगाढ़ा
कजाम
किडगाम
केडाम
चराटी
तिर्काम
तलांडी
सुंदराम
उलांडी

5. सैवेन सगा (पांच देव सगा) के गोत्र नाम पांच देव का नाम- (1) अहा, (2) महा, (3) रेका, (4) मेका, (5) गोयन्दा राहुद, झंडा रंग- मिट्ठू या पोपटी या तोता

अडमे
अक्काल
कोगा
गुंजाम
चिन्हाका
मिंगाम
भोजाम
मिनगाम
सुर्काता
पुर्रे
हाड़े
इस्टाम
कोडाम
गोलाम
चिर्वाल
पुर्का
बुराम
मुंगाम
दुरवा
नयटी
अस्टाम
कोरोपा
कोटाम
गोदाम
चिलमेंता
पुगाम
मंगलाम
मुचामी
दुरांडी
सेडोपा
अलाम
कंगला
कोटामी
पावला
चितलोका
बल्लामी
मचाम
मिन्दाम
घुर्रे
सोराम
अरमाती
कर्लाम
कोंकाम
गारंगा
चुर्थाम
बग्गाम
मरापे
मुयामी
पेंडराम
सिट्राम
अट्टामी
कठोताम
कोकड़ा
कन्नाका
चोपाम
बार्पाती
मलकाना
मुरमेन्ता
पोचाम
सर्गाती
अक्कामी
गोचा
पदामी
चिगाम
चोलाम
बिकराम
मतलामी
मुरपुंगा
पोयका
नलीयाम
अर्टाम
कीटाम
गचाम
चिटराम
चोहकाम
बुदाम
कौवड़ो
मुरापा
पोकाम
भोजाम
अर्पाती
कीसराम
गटराम
चिडगाम
पुर्काटी
बोसाम
मित्राम
मुरपाटा
पोटामी
नेलांजी
अर्काम
केलांडी
गतलामी
चितलाम
पुलकाम
बोर्साम
मितलाम
सुसामी
परस्ते
कींगराम

6. सार्वेन सगा (छः देव सगा) के गोत्र नाम छः देव का नाम- (1) अहेओदाल, (2) महेओदाल, (3) अपाई ओदाल, (4) तिपाई ओदाल, (5) मंडे ओदाल, (6) कोईन्दो ओदाल, झंडा रंग- हरा या हिरवा

अडीयाम
उइका
कुडोपा
कोहचाडा
जलपती
वरटी
नयताम
पोरेटी
रायमेन्ता
सरोतिया
असराम
उसेंडी
पुरयाम
गावडे
टेकाम
तिरावी
नगसोरी
पावला
रायसीराम
सींदराम
आतराम
उरेती
कुसराम
गडाम
हर्कोला
तिलाम
नेताम
पोया
लेकामी
सीडाम
अहाका
उर्रे
कुलमेन्ता
नामूर्ता
डेगमती
तिलगाम
परतेती
बरकुटा
वेलादी
सिरसाम
ओयमा
उडाम
कुमरा
चीचाम
तुमडाम
तिमाची
पुराम
बगाम
बोदबायना
सोरी
अडामो
एलाम
केराम
चीरको
तोरे
तुसाम
जगत
बोगामी
वेडकाल
सीरसो
अरमो
तिडगाम
कोरचा
चिडाम
सोर्साम
तुर्राम
वेलाटी
मरकाम
वरकडा
हिचामी
अकोम
कडीयाम
कोटनाका
चिलकाम
तोडाम
तुलाम
हुसेंडी
मरापा
वेडमा
हिडाम
ओलांडी
कातलाम
कोडोपा
चुलकामी
तोडासे
तुलावी
पेन्दाम
मलगाम
सल्लाम
कार्पेकोटा
ओट्टी
कीराम
कोराम
छदय्या
तिडाम
तिरपाती
पोरता
येलादी
सींगराम
पुसाम

7. येर्वेन सगा (सात देव सगा) के गोत्र नाम सात देव का नाम- (1) धनबाह, (2) धन्ठाई, (3) पिंडेजुगा, (4) राईमुद्धो, (5) चिकटराज, (6) भंडेसारा, (7) भूईंदागोटा,  झंडा रंग पीला

अडमाची
कटींगा
कोहमुंडा
जींगाम
तुग्गाम
वाडीवा
सय्याम
दरीयाम
कर्पेकोटा
बुर्दाम
अड़मे
कर्वेटाम
खंडाता
जुमनाती
तुरीयाम
बजूमूता
सराटी
धुर्वा
करेकारी
कोकाटा
आरमोर
कीरंगा
गोटा
जोडाम
तर्गाम
मडावी
सयाम
पेंद्रो
बोर्साम
मंडामी
अजुर्मूजा
कुंजाम
गोटामी
बोर्गाम
ताराम
मराई
सरूता
पंधराम
कींगराम
येरपाती
इरपाती
कोडवाती
गोलांग
उर्पाती
नरोती
मंगराम
सर्टीया
पट्टावी
सहका
तुरीया
इनवाती
कोकोडीया
गोडगा
तलांडी
नेटी
मर्सकोला
छोट्टा
पुराटी
सरीयाम
दर्रो
कंगाली
डोंडेरा
गड़ी
ताडाम
नट्टामी
मरपाती
पुर्काम
पुंगाम
तिर्याम
मुराकी
कंगाला
कोरेटी
जुन्नाका
तुलावा
पद्दाम
मसराम
परीयाम
भूजाम
नंजाम
सीदोवोयना
कन्नाका
कोयतामी
जीकराम
सितराम
पटावी
वेट्टी
करपे
भलावी
पुर्काम
बोट्टी
कवरती
कुर्सेंगा
जडपाती
तिलनाका
सर्वेटा
वेरमा
करपाती
काशीयाम
मुर्कासी
वेरगा

8. अर्वेन सगा (आठ देव सगा) के गोत्र नाम- भूमका नारायणसूर गोंग
अंगाम
कंगला
उंदास
कसेंडी
दुगासा
उकाम
तोराटी
इलाम
डुर्वाल
दरावी

9. नर्वेन सगा (नौ देव सगा) के गोत्र नाम- भूमका कोलासूर गोंगो
अडाम
तराटी
तुर्पाडा
नटोपा
चराटी
इलांडी
कुचाम
कोवा
परसो
डेगामी


10. पदवेन सगा (दस देव सगा) के गोत्र नाम- भूमका हीराजोती गोंगो 
तुम्मा
मंडारी
बदाम
दुरवा
कडता
गोरंगा
पुरका
मुरापा
पुंडराम
कींगराम
11. पार्वूदवेन सगा (ग्यारह देव सगा) के गोत्र नाम- भूमका मानकोसुंगाल गोंगो
कलंगा
गोटा
वेरमा
धुरुवा
पटावी
कटींगा
नेटी
मुरावी
खंडाता
पंडराम

12. पार्रंडवेन सगा (बारह देव सगा) के गोत्र नाम- भूमका तुरपोराय गोंगो
उईका
वेदाली
कोरचा
सोरी
दडांजा
तोरा
कंगाम
सल्लाम
मरकाम
नेताम

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