मंगलवार, 16 जनवरी 2018

राजनीतिक मंच और नेताओं के स्वागत आदि के लिए नाचना बन्द करे जनजातीय समाज

राजनीतिक मंचों और नेताओं के स्वागत में देश के जनजातीय समाज अपने नृत्यकला का प्रदर्शन बन्द करे! राजनीति के लालची लोग समाज को मनोरंजनस्वागत के साधन और नचकार बना लिए हैं ! वैसे भी नेता देश के आदिम समाज के लोगों को इंसान और अपने पैर का धूल भी नहीं समझते !

जनजातीय सांस्कृतिक दलों के मुखिया लोगों को रतिभर लाभ और नेताओं की खुशी की चिंता है ! हमें पता है एक अधमरा सा पार्टी का नेता किसी शहर में पहुंचने की खबर क्या मिलती है, समाज के छुटभैये उनके स्वागत और मनोरंजन के लिए नृतक दलों का पिछवाड़ा पोंछने लगते है ! बखत परै बाक़ा त गधा ला कहै काका !!

समाज की प्राचीन गोंगो विधि, पुरखों की नृत्य कला उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक अमानत है। थोड़े से रुपये पैसे, लुगड़ा, पोल्का, टिकली, बिंदिया, चूरी, खिनवा, झुमका, फुँदरा के लालच में समाज के नृतक दल दौड़े चले जाते हैं ! समाज के पुरखों ने भूखे रहकर भी इस अमानत को अपनी जान से भी ज्यादा सुरक्षित रखा, तब आज इस पीढ़ी को अमानत के तौर पर प्राप्त हुआ है ! वे हैं कि गली गली, मंच मंच नेताओं के सामने अपनी सामाजिक गोंगो विधि, पुरखौती सांस्कृतिक, धार्मिक कला, अमानत का इज्जत उघाड़ने में लगे हैं !!

आधुनिक समाज के जिन सभ्य और सुंदर चेहरों ने अपने नंगा बदन दिखाकर व हाथ पैर झड़ाकर जिस कमाऊ, नोटदार संस्कृति और कला का विकास किया है, नेताओं और उनके दलालों में कूवत है तो उन्हें अपने भारी और सरकारी जेब दिखाकर हर बार, हर मंच में खुद के स्वागत करवाने के लिए बुलवा लें !!

आदिम जनजातीय पुरखों ने अपनी गोंगो विधि, धार्मिक व सांस्कृतिक कला को कभी नहीं बेचा ! इसे गोंगो (पूजा) का माध्यम बनाया। परन्तु आज उनकी संतानो के हाथों उनकी अमानत, पार्टी नेताओं के स्वागत और शौकीन बाजार में बिक रही है ! इसके प्रमुख दलाल समाज के ही पार्टिवाईरस ग्रसित, चापलूसरोगी छुटभैये नेता हैं !!

देश की राजनीति और आधुनिक समाज "आदिम जनजातियों की निजसंस्कृति" को विदेशियों के सामने सम्पूर्ण देश का सामाजिक, सांस्कृतिक आईना बनाकर सम्मानपूर्वक प्रस्तुत करता है ! अपने शानदार बंगलों में उनकी कला संस्कृति का सुंदर मनोहारी चित्र टंगवाते हैं, यह बताने के लिए कि यही हमारी और हमारे देश की महान संस्कृति है ! वहीं उनकी ही धरा पर, संस्कृति के मालिकों को राजनीति के ताकत का नंगा पिछवाड़ा दिखाकर अपमान करता है ! देश की राजनीति उन गरीबों की जल, जंगल, जमीन और संवैधानिक अधिकार बलपूर्वक छीनकर अपने सहयोगी कारपोरेट लुटेरों को मुफ्त में बाटता है ! नक्सलवादी कहता है, गोली मरवाता है, उनकी बहू बेटियों का बलात्कार करवाता है, घर जलवाता है ! वहीं समाज के कुछ अधकचरे लोगों में इस राजनीतिक नंगाई के सामने अपने समाज के बेटे, बहु, बेटियों को नचवाने का भूत सवार रहता है !!

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