बुधवार, 5 जनवरी 2011

समाचार (गोंडवाना दर्शन रजत महोत्सव २०१०, दिनांक २५ दिसंबर, २०१०, गोंडवाना भवन, टिकरापारा, रायपुर, छत्तीसगढ़, भारत)

प्रिय साथियों माताओं एवं बहिनों,
जय सेवा, जय बडादेव।

          छत्तीसगढ़, भारत के गोंड (जनजातीय) समाज द्वारा दिनांक २५ दिसंबर, २०१० को भारत की एक मात्र मूलनिवासी मानव समाज की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक संरचनात्मक संचलन नियम को धारण करने वाली सामाजिक, सांस्क्रतिक पत्रिका के "रजत महोत्सव" का आयोजन किया गया। इस रजत महोत्सव कार्यक्रम में भारत भू-भाग के विभिन्न प्रान्तों के गोंडी साहित्य के जानकार, उच्च कोटि के साहित्यकार, गोंडी भाषाविद एवं पुरातत्वविदों ने भाग लिया।

          इस रजत महोत्सव के उदघाटक के रूप में तिरुमाय जयालक्ष्मी ठाकुर, कुलपति, बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर, अध्यक्षता तिरुमाल बी.एल.कोर्राम, अध्यक्ष, गोंडवाना गोंडी साहित्य परिसद एवं गोंडवाना आदिम जाती भाषा शोध, प्रशिक्षण संस्थान तथा सत्रवार सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषा एवं साहित्यिक परिसंवाद में डाक्टर के.एम्.मैत्री, कर्नाटक विस्वविद्यालय, तिरुमाय उषा किरण आत्राम, प्रख्यात गोंडी कवित्री एवं लेखिका, जिला चांदा, महाराष्ट्र, तिरुमाल आशुतोष मंडावी, विभागाध्यक्ष, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर, तिरुमाल शेरसिंह आंचला, दमकशा, तिरुमाल वीरेन्द्र वट्टी, तिरुमाल सुक्लुसिंह अहाके, (बालाघाट), मध्यप्रदेश, तिरुमाल देवलाल दुग्गा, अध्यक्ष, अनुसूचित जनजाति आयोग, छत्तीसगढ़, तिरुमाल पी.आर.ताराम, नारायणपुर, बस्तर, डाक्टर वेदवती मंडावी, विज्ञान महाविद्यालय, दुर्ग, तिरुमाय पुरुषोत्तम शेडमाके, चान्दागढ़, महारास्ट्र, तिरुमाल उज्जैन सिंह वट्टी, बालाघाट, तिरुमाल कोमलसिंह मरई, गंडई, तिरुमाल दिलीप सिंह परते, बालाघाट, तिरुमाल फ़तेह बहादुर सिंह मरकाम, सीधी, मद्यप्रदेश, सुश्री प्रभा पेंदाम, रामटेक, तिरुमाल मयाराम नेताम, तिरुमाल डाक्टर नरेन्द्र कोडवते, मेडिकल कालेज, नागपुर, तिरुमाल डाक्टर बी.एस.धुर्वे, से.नि.प्राचार्य, रीवा विश्वविद्यालय, रीवा, मध्यप्रदेश, तिरुमाल हेमसिंह ध्रुव, दुर्ग, छत्तीसगढ़ आदि कवि एवं रचनाकार शामिल हुए। इस रजत महोत्सव को देखने एवं सुनने राष्ट्र के अनेक राज्यों से गोंडवाना (जनजाति) समाज के समाज प्रतिनिधि, कार्यकर्ता, समाज प्रमुख, जनजातीय संगठनों के पदाधिकारी, अधिकारी, कर्मचारी, समाज के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी प्रबुद्ध लोग उपस्थित होकर गोंडी सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश एवं प्राचीनतम गोंडी साहित्यिक ज्ञान का अर्जन किये।


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